ऑटो चालक की लापरवाही से गयी मासूम की जान | GWALIOR NEWS

ग्वालियर। स्कूल ऑटो में 19 बच्चे सवार थे। ऑटो चालक ने लापरवाही दिखाते हुए 10 साल के मासूम छात्र को फ्रंट सीट पर अपने पास बैठाया। इसके बाद स्पीड में ऑटो दौड़ाने लगा। ऑटो जैसे ही खुदी सड़क पर डली गिट्टी पर आया मासूम छात्र छिटककर ऑटो से सड़क पर आ गिरा। उसके सीने और सिर में पत्थर घुसने से चोट लगी थी। घटना सोमवार दोपहर 1.30 बजे डीडी नगर पुरानी लाइन सिंधिया स्टैचू के पास की है। हद तब हो गई जब हादसे के बाद मौके पर पहुंचा स्कूल प्रबंधन घायल छात्र को 2 घंटे तक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल घुमाता रहा। जबकि उनके परिजन को सूचना तक नहीं दी। आखिरकार छात्र ने दम तोड़ दिया।

शताब्दीपुरम दाने बाबा के मंदिर के पास निवासी अशोक सिंह नरवरिया (लोधी) पेशे से सब्जी का ठेला लगाते हैं। उनके दो बच्चे बेटी सोनम (13) व बेटा सूरज (10) हैं। अशोक खुद सब्जी का ठेला लगाते हैं लेकिन बेटी को डॉक्टर और बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना उन्होंने देखा था। बच्चे अच्छे से पढ़ सकें इसलिए उनको डीडी नगर स्काईलार्क पब्लिक स्कूल में दाखिला दिलाया था। स्कूल की तरफ से ही अटैच ऑटो में बच्चे घर से स्कूल आते-जाते थे। बेटी सोनम 5वीं और बेटा सूरज तीसरी का छात्र है।

सोमवार सुबह 8 बजे दोनों बच्चे ऑटो से स्कूल के लिए निकले थे। दोपहर 1.30 बजे स्कूल से ऑटो चालक कमल प्रजापति ऑटो क्रमांक एमपी07 आरए-1756 में 19 बच्चों को लेकर निकला था। ऑटो में बच्चे ज्यादा थे इसलिए उसने 5 से 7 साल के बच्चों को अंदर सीट पर जगह दी। इसके बाद फट्टी पर बैठाए। जबकि 10 साल के मासूम सूरज को फ्रंट की सीट पर अपने पास बैठाया। दूसरी तरफ भी एक और बच्चा था।

स्कूल से निकलते ही कमल ऑटो को भगा रहा था। क्योंकि रोज की अपेक्षा आज वह कुछ देरी से था। अभी डीडी नगर पुरानी लाइन के पास वह मुख्य सड़क से गिट्टी की सड़क पर पहुंचा ही था कि तभी किसी गिट्टी पर पहिया पड़ते ही मासूम सूरज चलते ऑटो से छिटककर सड़क पर जा गिरा। उसके सीने और सिर में गिट्टी से गहरी चोट आई। घटना की सूचना ऑटो चालक ने स्कूल प्रबंधन को दी।

घटना स्थल पर स्कूल के प्रचार्य व अन्य स्टाफ पहुंचा। घायल सूरज और उसकी बहन सोनम को साथ लेकर वह सबसे पहले यादव धर्मकांटा के पास ब्रहाणी हॉस्पिटल पहुंचे। यहां सूरज को देखते ही मना कर दिया। इसके बाद बिड़ला पहुंचे। यहां जवाब मिला कि अभी उनके पास बच्चों का डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। इलाज नहीं कर सकते हैं। स्कूल प्रबंधन थाटीपुर स्थित प्रयास हॉस्पिटल पहुंचे। लेकिन यहां भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद वे गोविंदपुरी स्थित ओम हॉस्पिटल पहुंचे। यहां बच्चे को भर्ती तो कर लिया। लेकिन 10 से 15 मिनट बाद यह कह दिया कि अपोलो ले जाओ। बच्चे को लेकर वे अपोलो पहुंचे तो उन्होंने जेएएच भेज दिया। जेएएच में सूरज को मृत घोषित कर दिया गया। 2 घंटे में 6 अस्पताल के द्वार पर सूरज को लेकर पहुंचे पर कोई उसकी जान नहीं बचा सका।

भैया कह रहा था सोनम दिल में दर्द हो रहा है

जब वह गाड़ी से गिरा तो अंकल गाड़ी को बहुत तेज चला रहे थे। उसके सीने पर पत्थर गढ़ गया था। स्कूल से सत्यपाल सर भी आ गए थे। भैया को जिस भी अस्पताल में ले जा रहे थे डॉक्टर भर्ती नहीं कर रहे थे। जबकि भैया कह रहा था सोनम दिल में दर्द हो रहा है। वो एक हाथ से सीना पकड़कर रो रहा था। फिर कुछ देर बाद उसने बोलना बंद कर दिया। मुझे लगा कुछ गड़बड़ है सर कह रहे थे घर पर बताना पड़ेगा। जैसा मृतक की बहन व चश्मदीद छात्रा सोनम ने बताया।

मृतक छात्र की बहन सोनम की मानें तो ऑटो में हर रोज 21 बच्चे आते-जाते थे। सोमवार को दो बच्चे अपसेंट थे। जिस कारण 19 बच्चे थे। रोज ही ऑटो वाले अंकल लड़कियों को और छोटे बच्चों को अंदर व बड़े बच्चों को बाहर और चालक सीट पर कॉर्नर पर बैठाता था। रोज यह ऑटो भिंड रोड से होकर गोला का मंदिर तक कई चेकिंग प्वाइंट से गुजरती थी, लेकिन कभी किसी थाना पुलिस या ट्रैफिक पुलिस के जवान व अफसरों को दिखाई नहीं दी।

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