16 अक्टूबर को दुनियाभर में वल्र्ड फूड डे (world food day) यानि विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। ये दिवस भूख के खिलाफ लड़ाई का एक दिन है। क्योंकि बात जब भूख की हो, तो देश में इसका आंकड़ा हमारी सोच से भी बहुत ज्यादा है। हर साल भारत के अलावा दुनिया के कई देश संयुक्त यप से लोगों में भूख को खत्म करने के लिए आंदोलन चलाते हैं और जागरूकता फैलाने के प्रयास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में भी कई ऐसी भूख हड़ताल हुई हैं, जिनके जरिए राजनीति और दुनिया का पूरा रूख ही बदल गया। तो चलिए आपको बताते हैं देश की कुछ ऐसी चर्चित भूख हड़तालों (hunger strike) के बारे में, जिसमें हमारे देश के नेता से लेकर समाजसेवक भी शामिल रहे।
महात्मा गांधी की भूख हड़ताल-
महात्मा गांधी ने अहमदाबाद के मिल मजूदरों के समर्थन में 3 दिन की भूख हड़ताल की थी। उनके इस तीन दिन के उपवास से राजनीति में अनशन के एक नए दौर की शुरू हुई थी।
जतिन दास-भगत सिंह-
लाहौर जेल में राजनीतिक बंदी बनाने को लेकर जतिन दास ने भूख हड़ताल की थी। उनकी भूख हड़ताल 13 जुलाई 1929 को शुरू हुई थी। 63 दिन की इस सबसे बड़ी भूख हड़ताल की भारत के इतिहास में एक खास जगह है। इस हड़ताल में भगत सिंह ने उनका पूरा साथ दिया था । दुर्भाग्यवश जतिन दास की ये भूख हड़ताल उनकी मौत के साथ खत्म हुई।
इरोम शर्मिला-
इतिहास में सबसे बड़ी भूख हड़ताल करने वाली एक्टिविस्ट रहीं इरोम शर्मिला। मणिपुर की आयरन लेडी मानी जाने वाली इस महिला ने 16 साल तक भूख हड़ताल की थी। उन्होंने ये भूख हड़ताल अफस्फा और सेना के अत्याचारों के खिलाफ की थी। बता दें कि भूख हड़ताल के दौरान उन्हें जबरन नाक से आहार दिया जाता था। सन् 2000 में उन्होंने ये हड़ताल शुरू की थी और 2016 में ये भूख हड़ताल तोड़ी थी।
ममता बैनर्जी की भूख हड़ताल-
देश की चर्चित भूख हड़ताल में ममता बैनर्जी का भी नाम आता है। 2006 में सिंगूर में टाटा मोटर्स के विरोध में उन्होंने 25 दिन की भूख हड़ताल की थी। उस समय अगर तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम और पीएम मनमोहन सिंह उनसे हड़ताल तोडऩे को नहीं कहते तो ये हड़ताल और भी ज्यादा दिन चलती।
अन्ना हजारे-
देश की सबसे चर्चित भूख हड़ताल पर रहे थे प्रसिद्ध समाजसेवक और गांधीवाधी विचारों वाले अन्ना हजारे। इतनी उम्र में लोकपाल बिल के लिए उनके द्वारा की जाने वाली ये भूख हड़ताल हर देशवासी के लिए एक मिसाल थी। अन्ना ने 5 अप्रैल 2011 से अनशन शुरू किया था। 4 दिन बाद जब सरकार ने उनकी बात मान ली, तब जाकर उन्होंने अनशन शुरू किया।
मेधा पाटकर
जानी-मानी समाजसेविका मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए जानी जाती हैं। इसे लेकर उन्होंने 19 मई 2011 से 28 मई 2011 तक भूख हड़ताल की थी। परिणाम ये हुआ कि महाराष्ट्र सरकार को उनकी सभी मांगों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अरविंद केजरीवाल-
बता दें कि भारत में भूख हड़ताल करने के मामले में केजरीवाल सभी लोगों से आगे रहे हैं। यूं तो वे हमेशा ही अपने बयानों और कारनामों को लेकर चर्चा में रहते हैं, लेकिन उनकी 15 दिन की भूख हड़ताल सबसे ज्यादा चर्चा में रही। उनकी इस भूख हड़ताल ने राजनीति में खलबली मचा दी थी। 2013 में उन्होंने ये हड़ताल बिजली और पानी के बिलों के खिलाफ की थी।
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