भोपाल। चुनाव आचार संहिता के बाद कोई नए आदेश जारी नहीं किए जा सकते। कोई नए निर्माण टेंडर नहीं किए जा सकते। कम शब्दों में कहें तो कोई ऐसे काम नहीं किए जा सकते जो एक भी मतदाता को प्रभावित करते हों परंतु भर्ती परीक्षा सम्पन्न हो जाने के बाद चयनित उम्मीदवारों की नियुक्तियां आचार संहिता के नाम पर रोक देना, उम्मीदवारों को समझ नहीं आ रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर आंदोलन छेड़ दिया है।
बता दें कि लोक सेवा आयोग द्वारा वर्षों बाद असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2017 आयोजित की थी। तमाम विवादों के बाद चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी हुई। दस्तावेजों का सत्यापन भी हो गया बस नियुक्ति आदेश जारी होने थे कि आचार संहिता लग गई और उच्च शिक्षा विभाग ने नियुक्ति आदेश रोक दिए। इससे उम्मीदवारों की नौकरी तो अटक ही गई, शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
आचार संहिता के बाद क्या-क्या हुआ
मप्र में आचार संहिता लागू होने के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का वेतन बढ़ा दिया गया। अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन रोक दिया गया था परंतु स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बनाकर इस प्रक्रिया को जारी रखने का निवेदन किया है जो चुनाव आयोग को भेजा जा चुका है। भावांतर योजना के तहत आचार संहिता से पहले बेची गई फसलों का पैसा बैंक में ट्रांसफर किया जा रहा है। मुख्यमंत्री संबल योजना जिसे चुनावी योजना कहा गया था के तहत हिताग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है। जिन निर्माण कार्यों के लिए आचार संहिता से पहले वर्कआॅर्डर जारी हो गए थे, उनके काम जारी हैं। जब चुनाव आचार संहिता से पहले शुरू हुई प्रक्रियाएं निरंतर जारी हैं तो परीक्षा और सत्यापन के बाद नियुक्तियां क्यों रोक दी गईं। स्कूल शिक्षा विभाग की तरह उच्च शिक्षा विभाग ने अब तक चुनाव आयोग से इसकी मंजूरी क्यों नहीं मांगी।
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