दोनों दलों में परिवारवाद, कार्यकर्ता बैचेन | mp news

राकेश दुबे | मध्यप्रदेश में चुनावी घमासान जारी है। दो प्रमुख दल हैं। दोनों उम्मीदवार चयन के नये-नये प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन दोनों में से कोई भी परिवारवाद से मुक्त नहीं हो पा रहा है, कोई खुलकर अपनों के टिकट की वकालत कर रहा है तो कोई पिछले दरवाजे से इसी आस में लगा है, कार्यकर्ता बैचेन है। कांग्रेस ने कुछ नाम तय करने और जल्दी सूची घोषित करने का दावा किया है। वहीँ तीन बार सर्वे कराने के बाद भी भाजपा कुछ तय नहीं कर पाई है। विधानसभा चुनाव में किसे टिकट दिया जाए और किसे न दिया जाए इसे लेकर दोनों प्रमुख दलों में कवायद जारी है। भाजपा ने जिला स्तर पर रायशुमारी शुरू कर दी है।

भारतीय जनता पार्टी अब अपने कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेने का काम कर रही है। इसके लिए भाजपा ने प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों से दावेदारों का फीडबैक मंगाया है। इसमें हर विधानसभा में प्रदेश के बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाई है। इस रायशुमारी में कार्यकर्ताओं को लिफाफे दिए जाएंगे, जिनमें उन्हें अपनी विधानसभा के तीन दावेदारों का नाम पसंद के मुताबिक लिखना है। इस दौरान उन्हें इस बात का ध्यान रखना है कि 3 नामों में से उनका खुद का नाम न हो। इससे पहले भाजपा एक सर्वे भी करवा चुकी है, लेकिन इससे मिले फीडबैक और कार्यकर्ताओं के असंतोष को देखते हुए ये रायशुमारी कराई जा रही है। भाजपा इस बात को बखूबी जानती है कि इस बार चुनाव में उसे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के साथ ही कार्यकर्ताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। भाजपा की कोशिश है कि जितना हो सके कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चला जाए।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपने पुत्र कार्तिकेय को चुनाव में उतारने के लिए लगातार उसकी ब्रांडिंग करने में जुटे हैं। उनकी यात्रा सभा के साथ कार्तिकेय खुद कई जगह रैली सभा कर चुके है, तो  कमलनाथ भी पीछे नहीं हैं वे भी अपने पुत्र नकुलनाथ की ताजपोशी के पक्ष में है, उन्होंने नकुलनाथ को छिंदवाड़ा में सक्रिय कर रखा है। दिग्विजय सिंह के बेटे विधायक है ही और इस बात के प्रयास में है कि उनकी छबि दिग्विजय सिंह से इतर बने।

गोपाल भार्गव, कमल पटेल, के साथ नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, सहित कई दिग्गज भी अपनों के लिए कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं। वैसे मालवा की आधा दर्जन से अधिक सीटों पर लंबे समय से परिवारों का कब्जा है। कहीं पिता के बाद बेटा और चाचा के बाद भतीजा विरासत संभाले हुए हैं तो किसी सीट पर पति-पत्नी ने मोर्चा संभाल रखा है। परिवारों की पारंपरिक राजनीति के चक्कर में कई नेताओं का सियासी भविष्य मोर्चा,प्रकोष्ठों के पदों तक ही सिमट कर रह गया है।

इस बार का सबसे दिलचस्प प्रयास इंदौर में हो रहा है लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन बेटे मंदार महाजन को टिकट दिलाने में लगी हैं। अपने उत्तराधिकारी के रूप में ताई ने इंदौर-3 विधानसभा सीट से मंदार के नाम को आगे बढ़ाया है। कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश के लिए कांग्रेस नेता महेश जोशी बेटे दीपक जोशी पिंटू को लेकर आशांवित हैं। इंदौर की महापौर मालिनी गौड़ इंदौर-4 से बेटे एकलव्य को विधायक देखना चाहती हैं। भोपाल के महापौर तो अभी खुद के लिए ही कोशिश में लगे हैं।

लिस्ट लम्बी समय कम और खींचतान ज्यादा है। घमासान जारी है, टिकटों के फैसलों के बीच यह बात गौर करने की भाजपा में पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट हेतु की गई रायशुमारी के बोरे नहीं खुल सके थे और चुनाव हो गये थे।
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !