कांग्रेस कार्यालय में कर्फ्यू, भाजपा में मेला, टिकट के बाद ही शुरू होगा घमासान | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है। सारे नेता दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। वहां प्रत्याशियों के नाम फाइनल हो रहे हैं। जबकि भाजपा प्रदेश कार्यालय में मेला लगा हुआ है। यहां प्रत्याशियों के अलावा चयनकर्ता भी आ रहे हैं। हालांकि इस बार भाजपा में भी कांग्रेस जैसे हाल हैं। गुटबाजी खुलकर सामने आ चुकी है और प्रत्याशियों का चयन दिग्गजों के बंगलों पर किया जा रहा है। 

मप्र की पूरी कांग्रेस दिल्ली में
इन दिनों मध्यप्रदेश की पूरी कांग्रेस दिल्ली में है। दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, दीपक बावरिया समेत सभी सीटों के दावेदार अपने अपने नेताओं के बंगले के बाहर मजमा लगाए बैठे हैं। शिवराज सरकार के विरोध ओर सत्ता की संभावना के चलते दावेदारों की संख्या 2013 से कहीं ज्यादा है और गुटों का संघर्ष भी इसी स्तर पर बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि अब तक 106 नाम फाइनल हो गए हैं। गुरूवार रात तक कुछ और नाम तय हो सकते हैं। पीसीसी की हालत बिल्कुल वैसी ही है जैसी चुनाव के बाद निर्वाचन कार्यालय की हो जाती है। ना पदाधिकारी, ना कार्यकर्ता, यहां तक कि पानी और चाय वाला भी नजर नहीं आता

भाजपा का कांग्रेसीकरण
भाजपा के गढ़ मध्यप्रदेश में इस बार पार्टी का कांग्रेसीकरण हो गया है। वंशवाद पूरी ताकत के साथ खड़ा है। लगभग हर ताकतवर नेता के परिवार में दावेदार उपलब्ध हैं और वो वंशवाद के नाम पर डटकर खड़ा है। भाजपा कार्यालय कल्चर वाली पार्टी थी परंतु अब बंगलों पर बातचीत हो रहीं हैं। शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, के बंगलों पर सबसे ज्यादा भीड़ नजर आ रही है। दावेदार संघ कार्यालय के भी चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कांग्रेस की तुलना में एक अंतर जरूर है कि दावेदार हो या चयनकर्ता दिनभर में एक बार प्रदेश कार्यालय जरूर आ जाते हैं। 
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