मप्र: किसान भोजन योजना में 1000 करोड़ों का फर्जीवाड़ा: कांग्रेस का आरोप | MP NEWS

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आरोप लगाया है कि प्रदेश के मंडियो में सत्ताधारी दल के संरक्षण में करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार किया जा रहा है। चुनाव के पहले तो इसकी रफ्तार और तेज हो गई है। अचम्भे की बात तो यह है कि मंडी में किसानों की भोजन योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। कई मंडी पदाधिकारियों की जांच लोकायुक्त में चल रही है। शिवराज सरकार में भ्रष्टाचार एक व्यवस्था बन गई है। 

भूपेन्द्र गुप्ता, उपाध्यक्ष, मीडिया विभाग, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि प्रदेश की मंडियों में मुख्यमंत्री किसान भोजन योजना में करोड़ों का फर्जीवाड़ा हो रहा है जब सरकार की शह पर किसानों के भोजन पर ही डाका डाला जा रहा है तो ऐसी सरकार से किसानों के हित में और क्या उम्मीद की जा सकती है? प्रदेश में छोटी बड़ी लगभग 500 मंडिया हैं। यहां किसानों को नाम मात्र के शुल्क पर ठेकेदारो के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसके लिए मंडियों द्वारा बकायदा कूपन मुद्रित करा कर किसानों को दिए जाते हैं ताकि वे अनाज बेचने में समय लगने के दौरान भर पेट भोजन कर सकें। 

लेकिन इस योजना के मूल उद्देश्य को भूल कर मंडी अधिकारी और कर्मचारी एक सगंठित गिरोह बनाकर भोजन उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार की मिलीभगत से करोड़ों रूपयों का फर्जीवाडा कई वर्षों से कर रहे हैं। यदि इसकी जांच की जाए तो लगभग 1 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि यह सब मिलकर डकार गए। हर मंडी से हजारों कूपन किसानों को न देकर गायब कर दिए गए और केवल बिल के आधार पर ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। उदाहरण के लिए राजधानी से सटी नरसिंहगढ़ मंडी के दस्तावेज उन्होंने मीडिया को दिखाए।  

गुप्ता ने कहा मंडियों में पद का दुरूपयोग और कूट रचना करके फर्जी खानापूर्ति की जाकर जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। किसानों को फसलों का अच्छा दाम दिलाने के जिस पवित्र उद्देश्य से प्रदेश में मंडियों का गठन किया गया था शिवराज सरकार में ठीक उसके विपरीत काम हो रहा है। पूरी की पूरी सरकार बिचैलियों के साथ खड़ी है। अधिकारी,कर्मचारियों की मिली भगत बिचैलियों के साथ है। किसानों को कोई नहीं पूछ रहा है। 

इसका एक उदाहरण भोपाल से सटे नरसिंहगढ़ की मंडी का है। राजगढ़ कलेक्टर की जांच में आर्थिक अनियमितताओं के दोषी, मंडी अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ एफ.आई.आर. कराने और वसूली के आदेश जारी हुए हैं। उन्हें रिश्वतखोरी के अगले चरण के तहत 26 माह बाद भी मंडी बोर्ड भोपाल के अधिकारियों ने अभयदान दिया हुआ है। इसके सबूत भी आपको दिखाए जा रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि मध्यप्रदेश शासन की आडिट रिपोर्ट में भी भारी भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता, पद के दुरूपयोग मिथ्या साक्ष्य, कूट रचना, रिकार्ड में हेराफेरी, फर्जी लिखावट, फर्जी हस्ताक्षर का स्पष्ट खुलासा है। आडिट दल ने मंडियों में कई लोगों को अनियमितता का दोषी पाया है। इसके प्रमाण भी आपको दिखाए जा रहे हैं। फिर क्या कारण है कि कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है? जाहिर है शिवराज सरकार की मिलीभगत से सब हो रहा है। 

मंडी बोर्ड की जांच में भी इन्हीं सब बातों का उल्लेख है। गुण दोष का बहाना बताकर वसूली और एफ.आई.आर को 26 माह से रोका जा रहा है। इससे सरकार की मंशा का पता चलता है। प्रदेश की मंडियों में यह हेरा फेरी मुख्यमंत्री किसान भोजन शाखा, निर्माण शाखा, गोदाम किराया शाखा, निराश्रित शुल्क शाखा, मंडी शुल्क शाखाओं सहित अन्य प्रमुख शाखाओं में हो रही है। सभी मंडियों में इसकी विस्तार से जांच की जरूरत है, दोषियों को छोड़कर निर्दोष कर्मचारियों को डराने-धमकाने के लिए नोटिस दिए जा रहे हैं। भोपाल मंडी बोर्ड के जांच दल ने भी आर्थिक अनियमितताओं को छिपाया है। 

नरसिंहगढ़ मंडी में किसान भोजन शाखा प्रभारी और स्टोर शाखा के प्रभारी ने संयुक्त रूप से अनियमितता और भ्रष्टाचार किया है। कलेक्टर राजगढ़ ने इनके विरूद्ध एफ.आई.आर दर्ज कराने के आदेश 28 जुलाई, 2016 को दिए थे। इसकी सूचना मंडी बोर्ड को भी दी गई थी। कलेक्टर की जांच में पाया गया कि मुख्यमंत्री किसान भोजन योजना में 37 लाख रूपये से अधिक का घोटाला किया गया। मंडियों में किसानों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए कूपन जारी किए जाते हैं। किसान यह कूपन भोजन उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार को देता है और उसे पांच रूपये में भोजन मिल जाता है। लेकिन प्रदेश की लगभग 500 मंडियों में किसानों के भोजन पर ही डाका डाला जा रहा है। ठेकेदार को कूपन जमा करने पर भुगतान किया जाना चाहिए। लेकिन उसे केवल बिल के आधार पर भुगतान कर दिया गया । छपवाए गए हजारों कूपन हर मंडी से गायब कर दिए गए। इस फर्जीवाड़े में किसान भोजन योजना, प्रभावशील नहीं हो पाई,  आपसी मिलीभगत से मंडियों को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित सभी जिम्मेदार मौन हैं। 

भूपेन्द्र गुप्ता ने खुलासा किया कि इसी तरह मंडियों की स्थायी निधि राशि में भी करोड़ों का घपला हो रहा है आखिर यह किस की जेब में जा रहा है? मंडी आय का 20 प्रतिशत स्थायी निधि में जमा होना चाहिए जिसमें सालों से अनियमितता चल रही है। अकेले नरसिंहगढ़ मंडी में लगभग 76 लाख रूपये स्थायी निधि राशि में जमा किया जाना शेष है। इसके अलावा मंडियों में निविदाओं का प्रकाशन, मुद्रण कार्य, वाहन मरम्मत, सुरक्षा गार्ड आदि ऐसे कई मद है जिनमें सालों से अनियमितताएं की जा रही हैं। हर भ्रष्टाचार की जांच भ्रष्टाचार के माध्यम से ही या तो समाप्त हो जाती है, या दबा दी जाती है, या फिर लंबित रखी जाती है। 
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