भोपाल। सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था ने एक प्रेस रिलीज जारी कर शासन से मांग की है कि प्रदेश के सभी बालक बालिका आश्रमों की जाँच TISS (टाटा इस्टीटयूट ऑफ सोशल सांइस) जैसी किसी निष्पक्ष एजेंसी से तत्काल कराई जावे। भोपाल के ही ऐसे दो आश्रमों में जिस तरह की गतिविधियों के खुलासे हुए हैं उससे यह बात पुष्टि होती है कि राजनैतिक प्रश्रय में किस तरह के अत्याचार मासूमों पर ढाए जा रहे हैं और पूरा तंत्र मूक बना हुआ है।
खुद को संस्कारी कहने वाली सरकार हर तरह के अत्याचार में लिप्त होकर मात्र घटनाओं पर लीपा पोती कर रही है। इन आश्रमों में सिर्फ लड़कियाँ ही नहीं लड़के भी अनाचार का शिकार हैं। राजधानी में ही प्रतिदिन सैड़कों छेड़छाड़ की घटनायें हो रहीं हैं, हर दिन दुराचार की खबरों से अखबार सुर्ख हैं और सरकार ‘‘बेटी बचाओ’’ के थोथे नारे को प्रचारित कर रही है। सरकार कड़े कानून बनाने की बात कहकर अपनी पीठ थपथपाती है वहीं दूसरी ओर बलात्कार में फांसी की सजा पाये अपराधी प्रबंधों के अभाव में जेल से ही सही खुली सांसे ले रहे है।
न तो सरकारें निर्भया फंड का पूरा उपयोग कर पा रही है और न ही मासूमों की सुरक्षा और भरणपोषण को दी गई राशि का उपयोग हो रहा है। राम राज्य की दुहाई देने वाली सरकार में चारों तरफ रावण राज्य की ध्वनि है और सरकार के सम्मानीय प्रतिनिधि स्वछंदता पूर्वक यह कहते हैं कि जाओगे कहां ? विकल्प कहां है ? मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का भी यही हाल है, जनता की आवाज मुखर करने की बजाये वह अपने बीच के झगड़ों में उलझी सत्ता सुख की राह देख रही है।
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