मध्य प्रदेश की नर्सिंग डिग्री से सिर्फ MP में ही मिलेगी नौकरी | MP NEWS

भोपाल। एम पी से नर्सिंग हब का रुतबा छिनने वाला है तथा राजस्व भी घटने वाला है क्योकि यदि मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल के नए नियमों को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई तो मध्य प्रदेश से नर्सिंग में बीएससी, एमएससी करने वाले छात्रों की डिग्री सिर्फ प्रदेश में ही मान्य होगी। मतलब यह कि वह इस डिग्री के सहारे दूसरे राज्यों या विदेशों में नौकरी नहीं कर सकेंगे। इसका असर प्रदेश के करीब 448 कॉलेजों से नर्सिंग कोर्स करने वाले सवा लाख से ज्यादा युवाओं पर पर पड़ेगा। सरकार के इस कदम के चलते प्रदेश के आधे से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों में ताले पड़ जाएंगे, क्योंकि दूसरे राज्यों के मुकाबले कम फीस के कारण देशभर से छात्र-छात्राएं यह कोर्स करने मध्यप्रदेश आते हैं। नए नियमों को मंजूरी देने के लिए 18 सितंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में भेजा जाना है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल से नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के अधिकार छीन कर इसे राज्यों को सौंप दिया था। दूसरे राज्यों ने समय पर नियम बनाकर अपने तौर पर कॉलेजों को मान्यता देना शुरू कर दिया।

मध्य प्रदेश ही ऐसा राज्य था, जहां लंबे समय तक सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। अब प्रवेश की अंतिम तिथि 30 सितंबर नजदीक है, तब मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल के नए नियमों को कैबिनेट से मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है, जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसके नियम क्रमांक 11 में यह स्पष्ट लिखा है कि मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों से डिग्री डिप्लोमा हासिल करने वाले छात्रों के प्रमाण पत्र सिर्फ मध्यप्रदेश के लिए ही मान्य होंगे। 

मध्यप्रदेश में 448 तो इंदौर संभाग में करीब 60 नर्सिंग कॉलेज हैं, जिनमें नर्सिंग के करीब 700 विभिन्न कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। इसमें सवा लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले यहां नर्सिंग की पढ़ाई काफी सस्ती होने के कारण यह कई सालों से कर्नाटक के बाद दूसरा बड़ा नर्सिंग हब बना हुआ है।

मध्यप्रदेश में दूसरे राज्यों के मुकाबले फीस लगभग आधी है। यहां पर बीएससी नर्सिंग कोर्स की फीस में 2006 से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। प्रदेश में जहां यह फीस 40 हजार सालाना है तो कर्नाटक सहित दूसरे राज्यों में 70 हजार से डेढ़ लाख रुपए के बीच है।

सरकार और मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल को रजिस्ट्रेशन फीस के एवज में बड़ा राजस्व मिलता है। नर्सिंग कॉलेज संचालक देवेंद्र के मुताबिक नए नियमों के चलते जब यहां के सर्टिफिकेट की दूसरे राज्यों में मान्यता ही नहीं होगी, नौकरी ही नहीं मिलेगी तो छात्र प्रदेश का रुख क्यों करेंगे। यहां के कॉलेजों में एडमिशन कम होना तय है। इसका सीधा असर यह होगा कि कल कॉलेज बंद हो जाएंगे। सरकार को राजस्व मिलेगा और न ही नर्सिंग स्टाफ। 

नए नियमों में यह प्रावधान भी
- किराए के भवन में नहीं चल सकेंगे कॉलेज, खुद का भवन जरूरी। 
- जिनके पास छात्रावास, अस्पताल होंगे, उन्हें मिलेगी प्राथमिकता। 
- यदि 70 फीसदी विद्यार्थी फेल हुए तो खतरे में होगी मान्यता। 
- हर कॉलेज में पूर्णकालिक शिक्षक अनिवार्य होंगे।
- नई संस्था को पहले चार वर्ष के दौरान हर वर्ष मान्यता लेना होगी। उसके बाद एक बार में चार साल के लिए मान्यता मिलेगी।

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