सर्चइंजन गूगल की नजर देश में होने वाले चुनावों पर रहेगी। गूगल सभी राजनीतिक दलों और चुनाव प्रत्याशियों के ऑनलाइन प्रचार का लेखा-जोखा रखेगा और इन प्रचारों पर होने वाले खर्च समेत पूरा ब्यौरा चुनाव आयोग को उपलब्ध कराएगा। चुनाव आयोग के मुताबिक गूगल के प्रतिनिधि ने कुछ दिनों पहले आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। इस मुलाकात में यह तय हुआ कि गूगल एक व्यवस्था तैयार करेगा जिसके तहत ऑनलाइन माध्यम पर चुनाव प्रचार के लिए आने वाली सामग्री का प्री-सर्टिफिकेशन किया जाएगा और ऐसे प्रचारों पर पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा किए जा रहे खर्च का ब्यौरा जमा किया जाएगा। आयोग के मुताबिक वह इस आशय रिप्रेजेंटशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के सेक्शन 126 में बदलाव की संभावनाओं पर काम कर रहा है जिससे मीडिया प्लेटफार्म की विविधता का विस्तार किया जा सके।
गौरतलब है कि गूगल की नई व्यवस्था तैयार होने के बाद ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बिना प्री-सर्टिफिकेशन किसी पार्टी अथवा उम्मीदवार को प्रचार सामग्री जारी करना नामुमकिन होगा। मौजूदा समय में चुनाव प्रचार की सामग्री के सर्टिफिकेशन का काम चुनाव की जिम्मेदारी है और बिना चुनाव आयोग की अनुमति लिए चुनाव के लिए पोस्टर, बैनर, फिल्म इत्यादी को जारी नहीं किया जा सकता है।
वहीं गूगल द्वारा ऑनलाइन प्रचार पर हो रहे खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग अपने रिटर्निंग ऑफिसर से शेयर करेगा जिससे किसी उम्मीदवार का चुनाव पर खर्च डजोड़ने का काम आसान हो सके। गौरतलब है कि किसी उम्मीदवार द्वारा अपनी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद से प्रचार पर होने वाले सभी खर्च को चुनाव खर्च के तौर पर जोड़ा जाता है। इसके अलावा चुनाव आयोग सभी उम्मीदवारों से उनके सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी भी मांगता है।
गौरतलब है कि इससे पहले चुनाव आयोग ने फेसबुक के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की थी। फेसबुक ने भी चुनाव आयोग से कहा है कि वह जल्द से जल्द ऐसी व्यवस्था तैयार करे लेगा जिससे प्रचार का निर्धारित (पोलिंग से 48 घंटे पहले) समय खत्म होने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म से सभी प्रचार सामग्री को निष्क्रिय किया जा सकेगा। इसके अलावा चुनाव आयोग ने ट्विटर के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की है। चुनाव की कवायद चुनाव के दौरान फेक न्यूज पर लगाम लगाने की दिशा में अहम तकनीकि क्षमता तैयार करने की है।