अध्यापकों की नए कैडर में नियुक्ति के नए नियम जारी | ADHYAPAK SAMACHAR

भोपाल। अध्यापकों के नए कैडर को लेकर परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने नए कैडर में नियुक्ति के लिए कुछ मापदंड तय किए हैं। इसके मुताबिक पिछले 15 में से 9 महीने तक जिस अध्यापक को सैलरी नहीं मिली उनकी नए कैडर में नियुक्ति नहीं की जाएगी। अन्य मापदंड भी बनाए गए हैं। इससे करीब 5 फीसदी अध्यापकों को नुकसान हो सकता है।

नए कैडर की प्रक्रिया 25 अगस्त से शुरू हुई थी। विभाग को 30 सितंबर तक नियुक्ति आदेश जारी करना है। नए कैडर की तीनों केटेगरी के अध्यापकों में से प्राथमिक शिक्षक के नियुक्ति आदेश डीईओ, माध्यमिक शिक्षक के संयुक्त संचालक और उच्च माध्यमिक शिक्षक के नियुक्ति आदेश आयुक्त लोक शिक्षण द्वारा जारी किए जाएंगे। यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ 10 दिन में पूरी करना है। संयुक्त संचालक डीके कुशवाह का कहना है कि 30 सितंबर तक नियुक्ति आदेश जारी कर दिए जाएंगे। वरिष्ठता का मामला तो बाद में आएगा अभी तो नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है।

इनके मामले भी विभाग रखेगा पेंडिंग : 
इस सूची में उन अध्यापकों के नाम नहीं हैं, जिन्होंने नए कैडर की प्रक्रिया और उसमें विसंगति बताकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें ज्यादातर अध्यापक संगठन के पदाधिकारी शामिल हैं। इनके नाम पेंडिंग रखे गए हैं। इसका मतलब यह है कि फिलहाल इन्हें अपात्र या पात्र नहीं माना गया है। उन अध्यापकों के नाम भी सूची में नहीं हैं, जो किसी कारण से विकल्प नहीं भर सके और ई सर्विस बुक अपडेट नहीं कर सके।

अध्यापकों को वरिष्ठता में 3 से 9 साल का नुकसान भी
अध्यापक महासंघ के शिवराज वर्मा, आरिफ अंजुम कहना है कि संविदा पर नियुक्त होने वाले संविदा शिक्षक तीन साल बाद अध्यापक संवर्ग में शामिल हुए थे। नए कैडर में अध्यापक संवर्ग से वरिष्ठता दी जा रही है। यह संवर्ग 2007 में बना था। इसके कारण तीन साल की वरिष्ठता का नुकसान होगा। 1998 में जो शिक्षाकर्मी नियुक्त हुए और 2007 में अध्यापक संवर्ग में आए तो इन्हें नौ साल की वरिष्ठता का नुकसान होगा।
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