ट्रायवल और एजुकेशन कमिश्नर दोनों को हाईकोर्ट ने तलब किया | ADHYAPAK SAMACHAR

मंडला। अंतरनिकाय संविलयन प्रक्रिया के अंतर्गत स्थानांतरित हुये वे अध्यापक जिनकी कार्यमुक्त्ति पर जन जातीय कार्य विभाग की आयुक्त श्रीमती दीपाली रस्तोगी ने रोक लगा दी थी उन अध्यापकों की अवमानना याचिका पर हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई। विष्णु सोनी एवं अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुये विद्वान न्यायधीश श्रीमती वंदना कासरेकर ने आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग श्रीमती दीपाली रस्तोगी और आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय श्रीमती जयश्री कियावत को हेंड टू हेंड नोटिस जारी करते हुये कहा है कि अंतरनिकाय संविलयन के अंतर्गत स्थानांतरित अध्यापकों को कार्यमुक्त करो वरना 20 सितम्बर को कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब दो। 

उल्लेखनीय है कि माननीय न्यायालय में लगभग 20 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि शासन की अंतर निकाय संविलयन नीति के अंतगर्त ट्रायवल और एजुकेशन दोंनों विभाग के अध्यापकों के संविलयन आदेश आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी किये गये जिसमें शिक्षा विभाग से शिक्षा विभाग के स्कूलों में संविलयन किये गये अध्यापकों को तो कार्यमुक्त कर दिया गया लेकिन ट्रायवल से ट्रायवल और एजुकेशन से ट्रायवल में संविलयन किये गये अध्यापकों को कार्यमुक्त करने से रोक दिया गया। यह रोक ट्रायवल विभाग की दीपाली रस्तोगी द्वारा यह कहकर लगाया गया कि ट्रायवल विभाग में शिक्षकों की कमी है। यद्दपि बाद में याचिकाकर्ताओं ने सूचना के अधिकार द्वारा जानकारी लेकर न्यायालय को बताया कि इस अंतर निकाय संविलयन द्वारा ट्रायवल के स्कूलों में कमी की बजाय वृद्धि हो रही है। 

अवमानना याचिका पर उन्हें 17 सितम्बर तक जवाब देना था। ट्रायवल के स्कूलों में शिक्षकों की कमी का दांव नहीं चलते देख उन्होंने अब नया दांव खेल दिया है । एक तरफ तो अवमानना नोटिस नहीं मिलने की बात कहकर कोर्ट में खुद कोई जवाब पेश नहीं किया वहीं वीडियो कान्फरेन्स में अवमानना केस की जानकारी देते हुये  सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अध्यापकों को रिलीव न करें और कोर्ट में जवाब पेश करें कि अध्यापकों की शिक्षा विभाग और ट्रायवल विभाग में नियुक्ति की कार्यवाही चल रही है जिसमें व्यवधान होगा और अध्यापकों का अहित होगा साथ ही यह तर्क देने को भी कहा कि यह संविलयन शिक्षा विभाग कर रहा है और ट्रायवल विभाग से यह अनुमति नहीं ली गई है। 

वैसे देखा जाये तो श्रीमती दीपाली रस्तोगी को यही बात नागवार गुजरी है कि उनके विभाग के अध्यापकों का संविलयन डीपीआई कैसे कर रहा है। इस मामले में अध्यापकों ने कोर्ट को बताया है कि यह संविलयन की नीति शासन ने निर्धारित की है जिस पर किसी प्रशासकीय अधिकारी को रोक लगाने का अधिकार नहीं है वैसे भी अध्यापक ट्रायवल एजुकेशन के नहीं बल्कि स्थानीय निकाय के कर्मचारी हैं। अब अध्यापकों की नजर 20 सितम्बर की कोर्ट की सुनवाई में रहेगी। और वे प्रयासरत हैं कि श्रीमती दीपाली रस्तोगी को 20 के पहले कोर्ट का नोटिस पहुंच जाये। राज्य अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष डी के सिंगौर लगातार अंतर निकाय संविलयन से वंचित अध्यापकों  को न्यायिक लड़ाई मेंसहयोग कर रहे हैं और उन्हें पूरा भरोसा है कि अध्यापकों को न्याय मिलेगा  । उन्होंने इस मामले में शासन की चुप्पी  पर हैरानी जताई है और अधिकारियों  की आपसी खीचतान का हर्जाना निर्दोष अध्यापकों को झेलना पड़ रहा है।
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