जानिए क्या है 'नोटा', मशीन में यह बटन क्यों लगाया गया | WHAT IS NOTA

उपदेश अवस्थी। इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में नोटा की बात हो रही है। एससी/एसटी एक्ट के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में संशोधन कर दिया। यह एक्ट संसद में फटाफट पारित भी हो गया। अब सवर्ण समाज भड़क गया है। उसका कहना है कि यदि वोटबैंक के लालच में सुप्रीम कोर्ट के फैसले बदले जाएंगे तो फिर हम भी वोट की ताकत दिखाएंगे। चूंकि कांग्रेस ने एससी/एसटी एक्ट संशोधन का विरोध नहीं किया इसलिए नाराज लोग 'नोटा' पर वोट करने का ऐलान कर रहे हैं। कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। वो इसे गलत, देश के खिलाफ और देश के लिए नुक्सानदायक बता रहे हैं। सवाल यह है कि यदि 'नोटा' देश के लिए नुक्सानदायक है तो फिर उसे मशीन मेें लगाया ही क्यों गया। आइए पढ़ते हैं नोटा की कहानी: 

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध में लिखा गया है कि “जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन ही लोकतंत्र है” अब्राहम लिंकन की यह प्रसिद्ध उक्ति लोकतंत्र की सबसे सरल और प्रचलित परिभाषा मानी जाती है। गौरतलब है कि लोकतंत्र की इस व्यवस्था में मालिकाना हक़ तो जनता का ही है लेकिन जिस तरह से जनता के प्रतिनिधि चुने जाते हैं उसे लेकर असंतोष ज़ाहिर किया जाता रहा है।

लम्बे समय तक बहस चली, भाजपा नेताओं ने नोटा का समर्थन किया था
लोकतंत्र के महापर्व यानी चुनावों में यदि जनता को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आता हो फिर भी वह यह समझकर मतदान करता है कि दो बुरे उम्मीदवारों में से जो कम बुरा है उसके पक्ष में मतदान किया जाए तो निश्चित ही यह लोकतंत्र के लिये शुभ संकेत नहीं है। क्या हमारी व्यवस्था ऐसा उम्मीदवार नहीं दे सकती जो जनता के हित और कल्याण के लिये प्रतिबद्ध हो, मान लिया जाए कि किन्हीं परिस्थितियों में कोई भी सुयोग्य उम्मीदवार नज़र नहीं आता तो अब जनता क्या करे? इस सवाल को लेकर बहुत लम्बे समय तक बहस चलती रही। कांग्रेस ने इसका विरोध किया, भाजपा के कुछ नेताओं ने समर्थन किया। अंततः नोटा (none of the above-NOTA) के रूप में इसका समाधान प्रस्तुत किया गया। 

क्या है नोटा, कैसे लागू हुआ, कितने देशों में है

भारत में नोटा पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 2013 में दिये गए एक आदेश के बाद शुरू हुआ, विदित हो कि पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ बनाम भारत सरकार मामले में शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया कि जनता को मतदान के लिये नोटा का भी विकल्प उपलब्ध कराया जाए। इस आदेश के बाद भारत नकारात्मक मतदान का विकल्प उपलब्ध कराने वाला विश्व का 14वाँ देश बन गया। नोटा के तहत ईवीएम मशीन में नोटा (NONE OF THE ABOVE-NOTA) का गुलाबी बटन होता है। यदि पार्टियाँ ग़लत उम्मीदवार देती हैं तो नोटा का बटन दबाकर पार्टियों के प्रति जनता अपना विरोध दर्ज करा सकती है।

तो क्या नोटा देश के खिलाफ है

नोटा असल में देश के हित में है। यह जनता की आवाज है। वोट प्रतिशत कम होने के बावजूद कोई ना कोई जीत ही जाता है परंतु नोटा यह बताता है कि ऐसे कितने लोग हैं जिन्हे कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं आया। इससे जनता की सही आवाज सामने आती है। यह केवल किसी एक्ट का ​विरोध जताने का जरिया नहीं है बल्कि लोकतंत्र को जिंदा रखने की कोशिश है। वोट ना देने से बेहतर है, नोटा को वोट दें। 
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