प्रदर्शन करने गये पूर्व विधायक Tomar, कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हुआ लाठी चार्ज, लोग घायल। GWALIOR NEWS

ग्वालियर: जनसमस्याआें के विरोध में 12 जुलाई को नैरोगेज ट्रैक पर चक्काजाम करने पर दर्ज किए गए केस के विरोध में शुक्रवार को रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन करने पहुंचे कांग्रेसियों पर पुलिस ने लाठीचॉर्ज कर अश्रु गैस के गोले छोड़े। इससे पहले वाटर केनन का उपयोग भी किया। इससे मची भगदड़ में दर्जन भर से ज्यादा लोग घायल हो गए। इनमें से कुछ को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके बाद पूर्व विधायक प्रद्युम्न तोमर सहित 99 लोगों को गिरफ्तार करने आैर बाउंड आेवर कर शाम को रिहा करने का दावा पुलिस ने किया है।

आंदोलनकारी महाराजा मानसिंह चौराहे पर एकत्र होकर 3 घंटे तक प्रदर्शन करते रहे। इसके बाद 400 से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ता पूर्व विधायक तोमर के नेतृत्व में दोपहर 12 बजे प्लेटफार्म नंबर पर 1 पर ट्रेन रोकने के लिए बढ़े। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए स्टेशन से पहले स्टेशन तिराहे के पास दो जगह बेरीकेट्स लगाए गए थे। प्रदर्शनकारी बेरीकेड्स गिराकर स्टेशन की तरफ जाने लगे तो पुलिस ने रोका। लेकिन वे नहीं माने। पुलिस ने वाटर कैनन से पानी की बौछार की। प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे तो आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ लाठीचार्ज कर दिया। इससे भगदड़ मच गई। एक से दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ता घायल हुए हैं। पुलिस ने गांधी रोड पर प्रदर्शनकारियों के साथ ही आम लोगों को भी पीट दिया। यह नजारा देख कई लोग पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस में घुस गए। तोमर ने कहा कि जनसमस्याओं को लेकर मानसिंह चौराहे पर प्रदर्शन करने व आरपीएफ थाना में गिरफ्तारी देने को लेकर मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी को अवगत कराया था।

पुलिस ने कार्यकर्ता को पीटा तो फांसी लगाने का किया प्रयास:पुलिस ने बेरहमी से गदईपुरा निवासी बंटी तोमर को पीट दिया। इस आक्रोश में बंटी गांधी रोड पर पुलिस की गाड़ी में तौलिया का फंदा बनाकर फांसी लगाने का प्रयास करने लगा। इससे पुलिस के हाथ पैर फूल गए। पुलिस ने आनन-फानन में उसे उठाकर अलग से गाड़ी में बैठाकर डी आरपी लाइन ले गई।

घायलों को ट्रॉमा सेंटर में कराया भर्ती: घायल एक दर्जन से ज्यादा लोगों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। कई की प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी कर दी गई। कुछ लोग भर्ती रहे। चार शहर का नाका निवासी पप्पू तोमर, गदईपुरा निवास रोहित परिहार, प्रताप धानुक व राकेश अग्रवाल को ज्यादा चोटें आई हैं। पप्पू तोमर के सिर फूटा था। उनका कहना है कि पुलिस ने बेरहमी से पीटा है। कई लोगों के मामूली चोटें आई हैं।

केस दर्ज इसलिए किया प्रदर्शन

दरअसल, 15 दिन पहले पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मोतीझील के पास जनसमस्याओं को लेकर नैरोगेज ट्रेन रोका था। इस बात को लेकर आरपीएफ ने तोमर के खिलाफ प्रकरण कायम किया था। इससे नाराज होकर पूर्व विधायक ने आरपीएफ थाना में गिरफ्तारी देने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन किया।

पड़ाव चौराहा से गांधी रोड तक रहा ट्रैफिक अस्त-व्यस्त:शहर में विरोध प्रदर्शन से साढ़े तीन घंटे तक शहर के आम नागरिक परेशान होते रहे। कारण था प्रशासन ने आम जनता को इस तकलीफ से राहत दिलाने के लिए कोई रास्ता नहीं निकाला। प्रशासन सिर्फ प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने में उलझा रहा। प्रदर्शन के चलते पड़ाव से स्टेशन आैर मानसिंह चौराहे से लेकर गांधी रोड पर होटल तानसेन तक सुबह 10 बजे से दोपहर डेढ़ बजे साढ़े तीन घंटे तक ट्रैफिक अस्त-व्यस्त रहा। मुरार की आेर जाने वाले लोग खासे परेशान हुए। पुलिस ने आंदोलनकारियों से निपटने के लिए बेरीकेड्स लगा रखे थे। लेकिन शहर के लोगों को परेशानी से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं की। नतीजा, स्टेशन आने-जाने वाले तमाम लोगाें को काफी दूर तक पैदल सफर करना पड़ा।

कौन-कैसे जिम्मेदार पुलिस, प्रशासन या प्रदर्शनकारी


पुलिस: पूर्व से प्रदर्शन की जानकारी थी। यह भी स्पष्ट था कि प्रदर्शन प्रशासन की बिना अनुमति के किया जा रहा है। सुबह 10 बजे से मानसिंह चौराहे पर लोग इकठ्ठे होने लगे। जिन्हें गिरफ्तार करने की बजाय पुलिस अफसर ट्रैफिक डायवर्ट कराते रहे।

हमने रोकने की कोशिश की थी : प्रदर्शनकारियों ने जब रेलवे स्टेशन परिसर में घुसने के लिए जब बेरीकेड्स गिरा दिए तब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। -नवनीत भसीन, एसपी

प्रशासन: प्रदर्शनकारियों द्वारा अनुमति के लिए आवेदन किए जाने से प्रशासनिक अधिकारियों ने इंकार किया है। यदि प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी तो आवेदन को तुरंत निरस्त कर देना चाहिए था।

तय स्थान पर नहीं हुआ प्रदर्शन:जिस स्थान पर प्रदर्शन किया गया, वह धरने-प्रदर्शन के लिए तय स्थानों की सूची में नहीं है। सूचना देना और स्वीकृति मिलना अलग-अलग विषय हैं। - अशोक वर्मा, कलेक्टर

प्रदर्शनकारी: प्रदर्शन के लिए जिस स्थान को चुना, उससे महज डेढ़ किमी दूर फूलबाग मैदान है। जहां विरोध प्रदर्शन होते हैं। वहां अगर प्रदर्शन किया जाता तो आम जनता को परेशानी नहीं होती।

प्रशासन को सूचना दे दी थी:प्रशासन को सूचना दी गई थी। यदि प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी तो सूचना के लिए दिए गए आवेदन को तुरंत निरस्त कर देना चाहिए था। -प्रद्युम्न सिंह तोमर, पूर्व विधायक कांग्रेस

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