MPPSC घोटाला: खुलासा तो कई बार हुआ, जांच कभी नहीं की गई

इंदौर। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं में धांधली का खुलासा तो कई बार और कई स्तरों पर हुआ परंतु इसकी फाइल कभी तैयार नहीं की गई। एक बार दिल्ली पुलिस ने जानकारी मांगी तो उसे केवल उतनी ही जानकारी दी गई जितनी मांगी थी जबकि दिल्ली पुलिस के इनपुट पर पूरे घोटाले का खुलासा हो सकता था। सीएम शिवराज सिंह खुद को व्यापमं घोटाले का व्हिसल ब्लोअर कहते हैं परंतु उन्होंने इस मामले में व्यापमं जैसी जांच के आदेश नहीं दिए। याद दिला दें कि इस डायरी में एक नाम 'मामजी' भी है। 

DAIRY के 70 से ज्यादा पन्नों में दर्ज है PSC SCAM के राज

व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी डॉ. जगदीश सागर की डायरी के 70 से ज्यादा पन्नों से साबित हो रहा है कि उसके द्वारा सबसे ज्यादा पीएमटी और व्यापमं द्वारा होने वाली ड्रग इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर जैसी परीक्षाओं में पास कराने के सौदे किए गए। इन्हीं सौदों को करते-करते उसका नेटवर्क इतना फैल गया कि वह मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) के भी सौदे करने लगा। डायरी में कई जगह यह भी लिखा है कि यह उम्मीदवार किसके माध्यम से भेजा गया है, वह करीबी लोगों से ही पीएससी सौदों के लिए डील करता था। एक व्यक्ति का डायरी में नाम है, उसने बताया कि वह क्लाइंट लाने के लिए बोलता था और यह भी कि तुम्हारा काम तो ऐसे ही कर दूंगा और कोई हो तो ले आना। यह सौदे मुख्य रूप से साल 2012 के दौरान ही हुए, जब राज्य सेवा परीक्षा 2012 का आयोजन हुआ और यही वह समय था जब डॉ. सागर का नेटवर्क व्यापमं की हर परीक्षा में फैल चुका था।

डायरी सबके पास थी लेकिन PSC घोटाले की किसी ने जांच नहीं की

डायरी में दर्ज आवेदक, अभिभावकों के नाम, नंबर के आधार पर ही विविध जांच एजेंसियों ने व्यापमं घोटाले का खुलासा किया था, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसी डायरी में पीएससी के भी सौदे, डिप्टी कलेक्टर, वाणिज्यिक कर अधिकारी जैसे पदों की डील भी साफ-साफ लिखी हुई है, इसकी कभी भी विस्तृत जांच नहीं की गई।

DELHI POLICE ने पकड़ लिया था नेटवर्क लेकिन STF ने जांच को सीमित रखा

दिल्ली से क्राइम ब्रांच द्वारा पकड़े गए बेदीराम व अन्य आरोपियों ने पीएससी परीक्षा में पेपर लीक व अन्य काम कराने की जानकारी दी थी। इसी आधार पर एसटीएफ ने पीएससी से राज्य सेवा परीक्षा को लेकर कुछ उम्मीदवारों की नामजद जानकारी मांगी थी लेकिन उनकी जांच केवल बेदीराम व उनकी गैंग द्वारा मिली जानकारी तक ही सीमित रही, बाद में जब डॉ. सागर की डायरी हाथ लगी तो इसमें जांच मुख्य रूप से व्यापमं घोटाले तक ही केंद्रित रही। एसटीएफ ने साल 2013 से 2017 के बीच पांच बार से ज्यादा परीक्षाओं और उम्मीदवारों को लेकर जानकारी मांगी थी। 

जांच एसटीएफ द्वारा की गई है: तत्कालीन सचिव, पीएससी
पीएससी 2012 में तीन-चार आवेदक संदिग्ध थे, जिन्होंने इंटरव्यू दिया था। हाईकोर्ट के आदेश से सशर्त रिजल्ट जारी हुआ था। इसमें है कि यदि उम्मीदवार पर आरोप साबित होते हैं तो वह अयोग्य होगा। जांच एसटीएफ द्वारा की गई है। 
मनोहर दुबे, तत्कालीन सचिव, पीएससी

हमने जांच तो की थी: एसटीएफ चीफ
एसटीएफ ने जांच में आए कुछ तथ्यों के आधार पर इस मामले में जांच की थी। एक मामले में एसटीएफ कोर्ट भोपाल में चालान भी किया है। डायरी के सौदों और इसकी जांच के बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता हूं।
एके नकवी, प्रमुख, मप्र एसटीएफ
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