
मप्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकील व अतिरिक्त महाधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने बताया कि 5 जजों की संविधान पीठ में मप्र का केस भी क्लब हो गया है। मप्र कोशिश करेगा कि एम. नागराज केस में हुए आदेश को बदलने के लिए प्रकरण को 7 जजों वाली संविधान पीठ में भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के 42 से अधिक प्रकरणों में सुनवाई होनी है। गौरतलब है कि मप्र सहित अनेक राज्यों और स्वयं केंद्र शासन के प्रमोशन में रिजर्वेशन के अलग-अलग प्रकरणों में अलग-अलग हाईकोर्ट ने सर्वोच्च कोर्ट के एम नागराज प्रकरण में सुनवाई की। साथ ही आदेश में इन पदोन्नति नियमों के अधीन प्रावधानों को अनुसूचित जाति/ जनजाति को समानता का उल्लंघन करते हुए अतिरिक्त लाभ देने वाला पाया था और नियमों को खारिज कर दिया था।
बहरहाल, शुक्रवार को पांच जजों की संविधान पीठ मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में सुनवाई करेगी। पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंगटन नरीमन, जस्टिस कौल एवं जस्टिस इंदु मल्होत्रा हैं। वर्तमान में मप्र के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के अंतरिम आदेश के कारण न तो हाईकोर्ट का फैसला लागू किया जा सका और न ही अन्य कोई ऐसी प्रक्रिया शासन खोज सका है कि गतिरोध खत्म हो। विगत दो वर्षों से अधिक समय से प्रदेश के सभी विभागों में प्रमोशन बंद हैं। हजारों शासकीय सेवक बिना पदोन्नति का लाभ लिए रिटायर हो चुके हैं। रिक्त हो चुके वरिष्ठ पदों पर शासन प्रभार से कार्य करा रहा है।
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