मध्यप्रदेश में भी हैं लाखों बांग्लादेशी घुसपैठिए: केलकर | MP NEWS

भोपाल। पिछले एक दशक से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) का मुद्दा उठाने वाले भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक सूर्यकांत केलकर का कहना है कि दिल्ली, मुंबई समेत देश के हर बड़े शहर की झुग्गी बस्तियों में बांग्लादेशी घुसपैठिए भरे हुए हैं। मध्यप्रदेश में भी लाखों बांग्लादेशी घुसपैठिए अवैध रूप से रह रहे हैं। केवल असम में एनआरसी बना देने से घुसपैठियों की सही स्थिति पता नहीं चल सकती। इसलिए एक बार पूरे देश में एनआरसी बनना चाहिए। केलकर का कहना है कि भोपाल और इंदौर में ही झुग्गियों की जांच करा ली जाए तो हजारों की संख्या में बांग्लादेशी मिल जाएंगे।

NRC के अभाव में लागू नहीं हो सका इंदिरा और शेख का समझौता

1971 के युद्ध के बाद इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर्रहमान के बीच शरणार्थी समस्या के समाधान के लिए समझौता हुआ, लेकिन इस समझौते को इसलिए लागू नहीं किया जा सका, क्योंकि बांग्लादेशियों की पहचान के लिए किसी भी सरकार ने बंटवारे के बाद दोबारा एनआरसी बनाने का निर्णय नहीं लिया।

पंजाब और बंगाल की तरह तारबंदी होती तो नहीं बनते ऐसे हालात

देश के बंटवारे के वक्त जिस तरह बंगाल और पंजाब में बॉर्डर पर तारबंदी का काम किया गया, वैसा असम में नहीं हो सका। असम से लगा बांग्लादेश का बॉर्डर पूरी तरह खुला रहा। इस कारण बांग्लादेश से जानवरों की तस्करी और आबादी का बिना रोकटोक भारत आना जारी रहा। यदि 1971 के बाद भी असम बॉर्डर को सील कर दिया जाता, तो भी यह समस्या विकराल रूप नहीं ले पाती।

PDS पर बढ़ते भार का बड़ा कारण बांग्लादेशी हैं

केलकर का कहना है कि देश में गरीबी, गंदगी, बढ़ते स्लम और पीडीएस के राशन पर बढ़ते भार का सबसे बड़ा कारण बांग्लादेशी हैं। वोटबैंक के लालच में सेक्युलरवादी पार्टियां इनका सहयोग करती हैं। 1951 में बने एनआरसी में असम में मुस्लिम आबादी 5% और पं. बंगाल में 3% थी, लेकिन 2011 की जनगणना में असम में मुस्लिम आबादी 25% और प. बंगाल में 30% हो गई है।
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