अध्यापकों का नोटिफिकेशन: न उगलते बन रहा है, न निगलते | Khula Khat @ Dk Singore

मंगलवार को मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग ने अध्यापकों को कथित शिक्षा विभाग में संविलयन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है जिसमें न केवल अध्यापकों की एक विभाग एक केडर की मांग को दरकिनार किया है बल्कि मुख्यमंत्री जी 21 जनवरी को सीएम हाउस में कही अपनी ही बात से पलटी मार गये हैं। उन्होने कहा था शिक्षा विभाग में अब शिक्षकों का एक ही केडर होगा और सभी शिक्षक होंगे। शासन ने स्कूल शिक्षा विभाग में संविलयन के स्थान पर स्कूल शिक्षा विभाग के अधीनस्थ 'राज्य स्कूल शिक्षा सेवा' में प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति का नियम बना दिया है। इस प्रकार के नियम बनने से वर्षो से शिक्षा विभाग में संविलयन के लिये संघर्षरत अध्यापकों को गहरा झटका लगा है। 

वरिष्ठता के लिए नियम बाद में बनाएंगे

इस नई सेवा में जाने से अध्यापक अपनी पुरानी सेवा की वरिष्ठता को लेकर भी चिंतित हैं क्योंकि अध्यापकों को पदोन्नति, क्रमोन्न्ति, ग्रेच्यूटी आदि के लिये प्रथम नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता मिलना चाहिये लेकिन इस सम्बन्ध में नए नियम में वरिष्ठता के लिये बाद में नियम बनाने का जिक्र है। वरिष्ठता सूची जारी करने में भी शिक्षाकर्मी सेवा की वरिष्ठता को छोड़ दिया गया है। 

डेढ़ साल का 7वां वेतनमान हड़प गई सरकार

अध्यापकों को इस बात का भी मलाल है कि स्थानीय निकाय के कर्मचारी सहित सभी शासकीय कर्मचारियों को सातवां वेतनमान जनवरी 2016 से देय है बावजूद इसके अध्यापकों के साथ भेदभाव किया गया है और सातवां वेतनमान जुलाई 2018 से दिया जा रहा है। 20-20 वर्ष की सेवा पूर्ण हो जाने के बाद भी बार बार नियुक्ति देकर अध्यापकों की पुरानी सेवा कम होती जा रही है। पहले 3 वर्ष की परीवीक्षा के बाद नियमित की जगह नियुक्त किया गया जिसके चलते 1998 के अध्यापक पहले ही 3 इंक्रीमेंट पीछे चल रहे हैं। 2007 में अध्यापक में संविलयन समय प्रति वर्ष की सेवा का 1 इंक्रीमेंट देने की बजाय तीन साल की सेवा का एक इंक्रीमेंट दिया गया यहां बहुत बड़ा नुकसान हुआ। 2016 में छठवें वेतनमान की गणना में शिक्षाकर्मी काल की मिली 2 और 3 इंक्रीमेंट को छोड़ दिया जिसके चलते 1998 के अध्यापक को 2003 के अध्यापक के बराबर वेतन लेना पड़ रहा है। 

न उगलते बन रहा है न निगलते

छठवें वेतनमान की गणना में 6 माह से अधिक की सेवा अवधि को भी शून्य कर दिया गया जिसके कारण भी 1998 के अध्यापक सहित कई अध्यापकों का एक इंक्रीमेंट का नुकसान यहाँ भी हुआ। इस नई सेवा के नियम में विकल्प का प्रावधान करके इस विसंगति पूर्ण नियमों के तहत नियुक्ति हेतु बाध्य किया जा रहा है। इस नियम के आने के बाद अध्यापकों की स्तिथि सांप छछूंदर सी हो गई है न उगलते बन रहा है न निगलते। 

यह नोटिफिकेशन ट्रायवल वालों के लिए नहीं है

31 जुलाई को जारी नोटिफिकेशन शिक्षा विभाग के स्कूल में कार्यरत अध्यापकों के लिये है ट्रायवल विभाग के अध्यापकों के लिये अलग से नोटिफिकेशन जारी होगा जिसमें अनुसूचित जाति जन जाति शिक्षा सेवा में नियुक्ति की जावेगी । 
लेखक डीके सिंगौर राज्य अध्यापक संघ के मंडला जिला अध्यक्ष हैं। 

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