DEO की गलती से BHOPAL के 11 स्कूल संकट में

भोपाल। अधिकारियों पर आरोप लगते हैं कि वो केवल वही काम समय पर करते हैं जिसमें वेतन के अलावा भी कुछ प्राप्त होता हो। भोपाल में एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है। जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के कारण राजधानी के 11 सरकारी स्कूल संकट में आ गए हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इनके भवन गिराए जाने वाले हैं। योजना के अनुसार इन स्कूलों को शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले ही स्थानांतरित कर लेना था पंरतु डीईओ ने ध्यान ही नहीं दिया। अब मीडिया के माध्यम से बच्चों के भविष्य का खौफ दिखाकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। 

भोपाल के टीटी नगर में कुछ स्कूल चालीस से पचास साल पुराने हैं। स्कूलों को गिराने के आदेश शाला प्रमुखों तक पहुंच चुके हैं। इधर डीईओ एक्टिव हो गए हैं। राजनीति भी शुरू कर दी गई है। जरूरत पड़ी तो स्कूली बच्चों से प्रदर्शन भी करा दिया जाएगा। भोपाल को स्मार्ट बनाने की तैयारी पहले से ही चल रही है। ऐसे में इन स्कूलों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की तैयारी अप्रैल या मई माह तक ही कर लेनी चाहिए थी। भोपाल डीईओ ने स्कूलों के बचाने के लिए स्मार्ट सिटी के कार्यालय में अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन स्कूल की इमारतें तोड़ने के लिए अधिकारियों से बात नाकाम रही।

टीटी नगर के जिन स्कूलों को तोड़ा जाना है उनमें सम्राट अशोक, दीप शिक्षा, कमला नेहरूहायर सेकेंडरी स्कूल, कस्तूरबा हायर सेकेंडरी स्कूल, गांधी बाल विद्या मंदिर, डीएवी हायर सेकेंडरी स्कूल, सेवन हिल्स स्कूल, गोल्डन विहार, चंद्रशेखर और नूतन स्कूल शामिल हैं। स्मार्ट सिटी के तहत इनके भवन गिराने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इधर डीईओ इन स्कूलों के लिए नए भवन का प्रबंध अब तक नहीं कर पाए हैं। अब बीच सेशन में एक साथ 11 स्कूल भवन तोड़ने से हजारों स्कूली छात्र छात्राओं की पढ़ाई झमेले में पड़ जाएगी। 
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