फ्लेक्सी फेयर से तौबा करने की तैयारी में रेलवे, 70% सीटें खाली | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। 2016 से रेल मंत्रालय ने जनता के साथ कार्पोरेट कंपनी की तरह व्यवहार शुरू कर दिया था। वो नागरिकों को उपभोक्ता समझने लगे थे और मुनाफा कमाने के लिए ​प्रीमियम ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू कर दिया था। योजना थी कि कुछ समय बाद सभी ट्रेनों में ऐसा किया जाएगा परंतु ग्राहकों ने भी रेलवे को करारा जवाब दिया। कई ट्रेनों की 70% सीटें खाली जा रहीं हैं। अब रेल मंत्रालय के अफसर फ्लेक्सी फेयर से तौबा करने की तैयारी में हैं। हालांकि अब तक रेल मंत्रालय यह स्वीकार नहीं कर पाया है कि उसका गठन नागरिकों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हुआ है, कंपनी की तरह फायदा कमाने के लिए नहीं। 

न्यूज एजेंसी ने रेल मंत्रालय के एक अफसर के हवाले से बताया कि कुछ ट्रेनों में 30% से भी कम सीटें बुक हो रही हैं। ऐसी ट्रेनों में प्रयोग के तौर पर कम भीड़ वाले महीनों में यह स्कीम अस्थायी रूप से बंद करने की योजना है। उन्होंने कहा कि हमसफर ट्रेनों की तर्ज पर स्कीम में बदलाव करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसमें शुरुआती 50% टिकट, एक्सप्रेस और मेल ट्रेनों के थर्ड एसी के मूल किराए से 15% ज्यादा कीमत पर बेची जाती हैं। हर बार 10% सीटें बुक होने के बाद यह स्लैब बढ़ता जाता है। 

किराए में छूट देने पर भी विचार: 
इसी तरह सरकार कम व्यस्त मार्गों पर विशेष छूट देने के विकल्पों पर भी विचार कर रही है। इन बदलावों को लेकर अंतिम ऐलान अगले हफ्ते किया जाएगा। हाल ही में आई कैग की रिपोर्ट में रेलवे को फ्लेक्सी फेयर को लेकर लताड़ लगाई गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 120 दिन पहले टिकट बुक कराने पर 17 मार्गों पर हवाई यात्रा रेल यात्रा के मुकाबले सस्ती है।

क्या है फ्लेक्सी फेयर: 
फ्लेक्सी फेयर योजना राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में लागू है। इन ट्रेनों में तय मात्रा में ट्रेन की टिकटें बिक जाती हैं तो उसके बाद हर 10% टिकटें बिकने के बाद किराए में 10% की बढ़ोतरी हो जाती है। इन ट्रेनों में यह स्कीम 9 सितंबर 2016 से लागू की गई थी।
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