प्रमोशन में आरक्षण: धारा 16(4a) को लेकर हुई बहस | MP NEWS

भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण प्रकरण पर मान सर्वोच्च न्यायालय में संविधान पीठ ने पुन: सुनवाई प्रारंभ की। आज भी लगभग 2 घंटे तक सरकार और अनु. जाति/ जनजाति वर्ग के वकील ही अपने तर्क रखते रहे। दोनों की ओर से 12 से अधिक वरिष्ठ वकील और लगभग 50 अन्य वकील का उपस्थित रहे। मप्र सरकार की ओर से ही 4 वरिष्ठ वकील लगाए गए। सभी का मात्र एक ही तर्क कि जाति के आधार पर भेदभाव होता है और हम जन्मजात पिछड़े हैं। यह पिछड़ापन तब भी दूर नहीं होता जब हम महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच जाते हैं। अत: पदोन्नति में पिछड़ेपन को देखना गलत है। 

यह तर्क भी दिया गया कि धारा 16(4a) में पिछड़ेपन का कोई उल्लेख नहीं है और इस आधार पर नागराज प्रकरण गलत निर्णित हुआ है। लंच के बाद हमारे वकीलों ने अपने तर्क रखे। हमारी ओर से श्री शांतिभूषण जी एवं श्री राजीव धवन ने तर्क रखे। श्री भूषण ने तर्क दिया कि धारा 16(4a) में पिछड़ेपन शब्द का उपयोग भले न हुआ हो लेकिन यह धारा 16 से निकली है और पिछड़ापन देखा जाना इसमें समाहित है। 

श्री धवन ने स्पष्ट किया कि एम नागराज का निर्णय एकदम सही है एवं संविधान के समानता के सिद्धांत पर आधारित है। इसके बगैर समानता के अधिकार को शासकीय सेवाओं में बरकरार नहीं रखा जा सकता। बहस समाप्त नहीं हुई है। प्रकरण पर अगली सुनवाई अब दिनांक 29.8.2018 एवं 30.8.2018 को लगातार चलेगी। अगले सप्ताह समापन पूरी तरह संभावित है।
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