
यह तर्क भी दिया गया कि धारा 16(4a) में पिछड़ेपन का कोई उल्लेख नहीं है और इस आधार पर नागराज प्रकरण गलत निर्णित हुआ है। लंच के बाद हमारे वकीलों ने अपने तर्क रखे। हमारी ओर से श्री शांतिभूषण जी एवं श्री राजीव धवन ने तर्क रखे। श्री भूषण ने तर्क दिया कि धारा 16(4a) में पिछड़ेपन शब्द का उपयोग भले न हुआ हो लेकिन यह धारा 16 से निकली है और पिछड़ापन देखा जाना इसमें समाहित है।
श्री धवन ने स्पष्ट किया कि एम नागराज का निर्णय एकदम सही है एवं संविधान के समानता के सिद्धांत पर आधारित है। इसके बगैर समानता के अधिकार को शासकीय सेवाओं में बरकरार नहीं रखा जा सकता। बहस समाप्त नहीं हुई है। प्रकरण पर अगली सुनवाई अब दिनांक 29.8.2018 एवं 30.8.2018 को लगातार चलेगी। अगले सप्ताह समापन पूरी तरह संभावित है।
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