शिवराज ने निकाली हाईकोर्ट के आदेश की काट, उमा, गौर और जोशी सरकारी बंगले में जमे रहेंगे | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। शिवराज सिंह सरकार जो चाहती है वो हर हाल में करती है। हाईकोर्ट भी उसे रोक नहीं सकता। पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगला मामले में ऐसा ही हुआ है। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को दिए गए सरकारी बंगले खाली कराने का आदेश दिया था। सरकार ने कागजों में बंगले खाली कराए और कागजों में ही फिर से आवंटित भी कर दिए। पहले कैलाश जोशी, उमा भारती और बाबूलाल गौर पूर्व मुख्यमंत्री थे, अब कैलाश जोशी तो समाजसेवी हो गए हैं, बाकी दोनों का पता नहीं क्या दर्ज कर लिया। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा से पहले ही बंगला खाली करवा लिया गया है। दिग्विजय सिंह को नया आवंटन नहीं किया। जबकि दिग्विजय सिंह भी नर्मदा परिक्रमा के बाद संत हो चुके हैं और मप्र में संतों को मंत्री का दर्जा दिया जाता है। 

शुचिता की राजनीति करने वाले कैलाश जोशी की तरफ से नए आवेदन में बताया गया है कि वो इन दिनों समाज सेवा कर रहे हैं, वैसे सूत्र बताते हैं कि कैलाश जोशी की उम्र और तबीयत अब कुछ करने की रह नहीं गई है, परिवार के लोग उनकी सेवा कर रहे हैं परंतु कागज पर उन्होंने लिख दिया कि वो समाजसेवी हैं, तो सवाल करने की हिम्मत किसमें है। इसी नाते उन्हें बंगला आवंटित करें। यहां बता दें कि उनके निजी पुत्र दीपक जोशी के पास एक अलग से सरकारी बंगला है। सवाल यह है कि क्या दीपक जोशी अपने पिता को अपने पास रखना नहीं चाहते। 

10 बार सेे विधायक बाबूलाल गौर ने कहा कि वे 35 साल से लगातार विधायक हैं। इसलिए बंगला मेरे पास ही रहने दिया जाए। सरकार को चाहिए था कि विधायकों को आवंटित होने वाले आवासों में से एक बाबूलाल गौर को भी दे दिया जाता, शानदार और इतने बड़े बंगले की क्या जरूरत, लेकिन 2018 का चुनाव नजदीक है। बाबूलाल गौर को नियम समझा दिया तो वो भी कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं, इसलिए नियम और नीतियां किनारे, गौर साहब का बंगला बरकरार। 

इसी तरह केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दलील दी है कि वो मप्र की निवासी हैं। विधायक रहीं हैं। मुख्यमंत्री भी रहीं हैं। इनमें से एक भी दलील काम की नहीं है। मप्र में तो 7.5 करोड़ लोग निवासी हैं तो क्या सबको बंगला दे दिया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री को बंगला नहीं देना यह तो सुप्रीम कोर्ट का ही आदेश है और फिलहाल उमा भारती झांसी की सांसद हैं। वहां उनके पास सरकारी आवास भी है। केंद्रीय मंत्री हैं इसलिए दिल्ली में भी सरकारी आवास है। भोपाल आती जाती रहतीं हैं तो सर्किट हाउस हैं, जो बाकी सब केंद्रीय मंत्रियों के लिए होते हैं। बंगले की जरूरत नहीं थी परंतु फिर वही बात, 2018 का चुनाव सिर पर है। उमा भारती को नाराज नहीं करना। 

बंगले बचाने शिवराज सिंह ने अपने विशेषाधिकारों का उपयोग किया
हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना न हो, इसलिए सरकार ने सीएम के विशेषाधिकार का उपयोग कर बंगलों का आवंटन कर दिया। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधा से जुड़े उस प्रावधान को रद्द किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें आजीवन बिना किराए के शासकीय बंगला मिलेगा। इसके विरोध में याचिका लगी। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को शासकीय बंगलों की सुविधा नहीं दी जाएगी। इसी के बाद राज्य सरकार के गृह विभाग ने चारों पूर्व सीएम के बंगला आवंटन निरस्त कर दिए। पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा के निधन के बाद उनका बंगला उनके भतीजे व राज्य मंत्री सुरेंद्र पटवा को दे दिया गया है। कैलाश जोशी के पुत्र व राज्यमंत्री दीपक जोशी को 74 बंगले में ही अतिरिक्त शासकीय बंगला मिला हुआ है। 
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!