भोपाल। बसपा से गठबंधन के लिए कमलनाथ अपनी पदस्थापना के दिन से ही कोशिश कर रहे थे लेकिन लोकसभा में फ्लोर पर मैनेजमेंट के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले कमलनाथ के तमाम प्लान फैल होेते जा रहे हैं। बसपा से गठबंधन के लिए उन्होंने खुद मायावती से कई बार बात की। दिल्ली गए, राहुल गांधी से बात की। कमलनाथ के नजदीकियों ने ऐलान कर दिया कि गठबंधन हो गया है लेकिन मायावती ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को छिंदवाड़ा भेजा और बयान जारी करवा दिया कि अब तक गठबंधन नहीं हुआ है। कमलनाथ इस कदर निराश हुए कि गठबंधन के लिए भोपाल आए सपा चीफ अखिलेश यादव से मुलाकात तक नहीं की। आज बयान जारी किया है कि कांग्रेस सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
भाजपा के लिए यह काफी राहत भरी खबर है। कमलनाथ ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। गठबंधन ना होने पर कांग्रेस सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अगर गठबंधन हुआ भी तब भी पार्टी 200 से ज़्यादा सीट पर अकेले चुनाव लड़ेगी। कमलनाथ के इस बयान के साथ ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस-बसपा और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि कमलनाथ की तमाम कोशिशें बिफल हो गईं हैं।
गुटबाजी के बाद गठबंधन में फेल हुए कमलनाथ
कमलनाथ ने अपनी ताजपोशी से पहले हाईकमान के सामने दावा किया था कि यदि उन्हे अवसर दिया जाता है तो मध्यप्रदेश में गुटबाजी खत्म हो जाएगी परंतु प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उल्टा हो गया। मध्यप्रदेश में कमलनाथ गुट ही सबसे बड़ा गुट बनने लगा। अब इस गुट का मुकाबला दिग्विजय सिंह गुट से होता नजर आ रहा है। अरुण यादव, मीनाक्षी नटराजन जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों को साइड लाइन कर दिया गया है। सिंधिया गुट एक्टिव है। बीते रोज हुए पोस्टवॉर में साफ समझ आ गया कि गुटों का रंग सुर्ख हो चुका है। माना जा रहा था कि गठबंधन करके कमलनाथ भाजपा को बड़ा नुक्सान पहुंचाएंगे परंतु अब उसकी संभावनाएं भी समाप्त होती नजर आ रहीं हैं।
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