ई-टेंडर घोटाला: कई विभागों में हुई है गड़बड़ी, सबूत मिले | MP E-TENDER SCAM NEWS

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह ने चुनावी माहौल में आरोपों से बचने के लिए ई-टेंडर घोटाले की जांच के लिए SIT गठित करने के बजाए, EOW से कराने का फैसला लिया। इस जांच में कुछ नए सबूत हाथ लगे हैं। अब तक 1000 करोड़ के घोटाले का पता लगाया जा चुका है। नए सबूतों के आधार पर छानबीन के बाद यह आंकड़ा बहुत बड़ा हो सकता है। यह भी पता लगा है कि ई-टेंडरों में जो छेड़छाड़ की गई थी वो मुंबई से नहीं बल्कि भोपाल से ही की गई थी। EOW ने वो कम्प्यूटर भी बरामद कर लिया है जिसके माध्यम से घोटाला किया गया। 

कैसे किया जाता था घोटाला, किन विभागों में हुआ
मप्र में जारी ई-टेंडर में उसकी शर्तों और राशि में फेरबदल कर दिया जाता था। ई-टेंडर में घोटाला सिर्फ जल निगम की नल-जल योजना में नहीं, बल्कि पीएचई के दूसरे कार्यों, जल संसाधन विभाग और लोक निर्माण विभाग, महिला बाल विकास, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, आवास विभाग, नर्मदा घाटी विकास विभाग और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम सहित दूसरे विभागों में भी किया गया है। घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। 

कम्प्यूटर में घुसकर घोटालेबाज को पकड़ने की तैयारी
जांच एजेंसी को दो आईपी एड्रेस मिले थे। जांच एजेंसी पहले यह दावा कर रही थी कि छेड़छाड़ मुंबई में की गई है। जांच में पता चला कि गड़बड़ी भोपाल में बैठकर की गई है। जांच एजेंसी ने वह कम्प्यूटर बरामद कर लिया है, जिससे ई-टेंडर छेड़छाड़ की गई थी। अब जांच एजेंसी उसी कम्प्यूटर के सहारे आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। 

और भी कई विभागों में हुआ है ई-टेंडर घोटाला
सूत्र बताते हैं कि ईओडब्ल्यू को जो कंप्यूटर मिला है, उसमें जल संसाधन के अलावा दूसरे विभागों के टेंडर में की गई गड़बड़ी के सबूत भी मिले हैं। फिलहाल जांच एजेंसी उन सबूतों और विभागों के नाम का खुलासा नहीं कर रही है। एजेंसी को तकरीबन एक महीने की जांच में अभी तक पूरे दस्तावेज नहीं मिले हैं। जो जानकारी मांगी जाती है, संबंधित विभागों और टीसीएस द्वारा मुहैया नहीं कराई जा रही है। ईओडब्ल्यू ने नए सिरे से फिर दस्तावेजों की मांग की है। 
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