देखते हैं मोदीजी, सामना करेंगे या भाग जाएंगे: Digvijay Singh @Monsoon Session

नई दिल्ली। आज से संसद के मानसून सत्र की शुरूआत हो रही है। सदन में ट्रिपल तलाक, भगोड़ा कानून और मुस्लिम विवाह संरक्षण जैसे बिल लटके हुए हैं। 4 राज्यों के चुनाव से पहले ये बिल पास करवाना बहुत जरूरी है और इधर कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव का ऐलान कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बयान जारी किया है 'देखते हैं मोदी जी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे या फिर भाग जायेंगे।' बता दें कि यह सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त तक सत्र चलेगा। इनमें 6 दिन छुट्टी के हैं। सरकार के पास अहम बिल पास कराने के लिए सिर्फ 18 दिन हैं और 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण कांग्रेस सरकार को घेरने में कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है। 

मंगलवार को कांग्रेस के दफ्तर में विपक्षी दलों की बैठक हुई, जिसमें सरकार को घेरने की तैयारी की गई। इसमें अविश्वास प्रस्ताव पर 12 दलों ने सहमति भी जताई। मानसून सत्र के दौरान ही राज्यसभा में उप-सभापति का चुनाव होगा। पीजे कुरियन का कार्यकाल पूरा हो रहा है। 

मोदी सरकार ये बिल पेश करने की तैयारी में है
सरकार भगोड़ा आपराधिक अध्यादेश, 
वाणिज्यिक अदालत से जुड़ा अध्यादेश, 
आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 
होम्योपैथिक केन्द्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 
राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश, 
दिवालियापन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश 
जबकि ट्रिपल तलाक विधेयक राज्यसभा में लंबित है। इसे पास कराना सरकार की प्राथमिकता रहेगी। 4 राज्यों में चुनाव के लिए यह बहुत जरूरी है। 

विपक्ष की रणनीति : 
महिला आरक्षण, मॉब लिंचिंग, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत, एससी-एसटी एक्ट में बदलाव, अविश्वास प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर के हालात पर हंगामे के आसार हैं। उधर, महिला आरक्षण बिल को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सरकार के बीच सोमवार को ही सवाल-जवाब का दौर शुरू हो गया है।

बजट सत्र का अनुभव अच्छा नहीं था
लोकसभा में कुल 23% और राज्यसभा में 28% कामकाज हुआ। लगातार हंगामे की वजह से दोनों सदनों के 250 घंटे बर्बाद हो गए। काम के लिहाज से यह सत्र 18 साल में सबसे खराब रहा। इसमें आंध्रप्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जा की मांग, कावेरी जल विवाद, नीरव मोदी और एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मूर्तियां तोड़ने जैसे मुद्दों पर कांग्रेस, टीडीपी और एआईएडीएमके समेत विपक्षी पार्टियों ने हंगामा किया। इससे पहले 2000 में लोकसभा में प्रोडक्टिविटी 21% और राज्यसभा की 27% रही थी। 
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