सहकारी BANK भर्ती घोटाला: 1325 पदों पर नियम विरुद्ध भर्ती, नोटिस जारी | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर भर्ती घोटाला (RECRUITMENT SCAM) सामने आया है। इस बार सहकारिता विभाग (DEPARTMENT OF COOPERATION ) में यह घोटाला हुआ है। कम्प्यूटर ऑपरेटर और क्लर्क के 1634 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। नियमानुसार लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के बाद नियुक्तियां की जानी थीं। विभाग ने परीक्षा (EXAM) तो आयोजित कराई लेकिन इंटरव्यू (INTERVIEW) आयोजित नहीं किए और नियुक्तियां (POSTING) कर दीं। परीक्षा एजेंसी इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन (IBPS) ने बिना कट ऑफ मार्क घोषित किए सीधे मेरिट लिस्ट जारी कर दी। सीएम शिवराज सिंह ने ऐलान किया था और निर्देश भी जारी हुए थे कि इन पदों पर केवल मध्यप्रदेश के मूल निवासी उम्मीदवारों की ही भर्ती की जाएगी परंतु विभाग ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ के उम्मीदवारों को भी नौकरी दे दी। अब INDORE HIGH COURT ने इस मामले में नोटिस जारी किया है। विश्वास सारंग मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री हैं। अब उन पर भी उंगलियां उठ रहीं हैं। 

गुपचुप बदल दिए नियम
सहकारिता विभाग ने भी परीक्षा होने के बाद भर्ती नियमों में बदलाव कर बगैर साक्षात्कार लिए 1325 लोगों को सीधे ज्वॉइनिंग दे दी। चयन परीक्षा और भर्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने सहकारिता विभाग के अफसरों को नोटिस जारी कर दिए हैं। इस परीक्षा में बैठे 54 हजार परीक्षार्थियों में से लगभग 10 हजार इंदौर संभाग से हैं।

37 जिला COOPERATION BANK में निकालीं थीं भर्तियां

गौरतलब है कि सहकारिता विभाग ने 37 जिला सहकारी बैंकों में कम्प्यूटर ऑपरेटर और क्लर्क के पद के लिए भर्तियां निकाली थी। विभाग द्वारा जारी विज्ञापन के मुताबिक, भर्ती के लिए 90 नंबरों की लिखित परीक्षा और 10 नंबर साक्षात्कार के लिए रखे गए थे। परीक्षा के लिए कुल 55000 आवेदन आए, जिनमें से 54000 अभ्यर्थियों ने प्री एग्जाम में शिरकत की। परीक्षा एजेंसी ने इसमें से 7000 आवेदकों को पिछले महीने 6 जून को होने वाली फाइनल एग्जाम के लिए क्वालिफाई घोषित किया।

राजस्थान, छत्तीसगढ़ के लोगों को दे दी नौकरी
12 जून को आईबीपीएस ने सहकारिता विभाग को परीक्षा परिणाम सौंप दिया। परीक्षा में मध्यप्रदेश के मूल निवासियों की भर्ती की जाना थी, लेकिन आवेदकों का आरोप है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ के भी कई लोगों को नौकरी दे दी। अधिकारियों का तर्क है कि ऑनलाइन परीक्षा में आवेदकों के दस्तावेज जांचना संभव नहीं है। यदि गड़बड़ी पाई गई तो उन्हें नौकरी से हटा दिया जाएगा।

कट ऑफ मार्क्स नहीं बताए, नंबर भी जारी नहीं किए
मुख्य लिखित परीक्षा 90 नंबरों की थी। जिन 7000 लोगों ने परीक्षा दी, उसमें से नियमानुसार सभी अभ्यर्थियों के नंबर जारी किए जाने थे। यह भी स्पष्ट किया जाना था कि किस आरक्षित और अनारक्षित श्रेणी में कट ऑफ मार्क्स क्या हैं। आईबीपीएस भी हर परीक्षा में आवेदकों को नंबर बताता है और कई पदों से 3 गुना आवेदकों का कट ऑफ मार्क घोषित करता है, लेकिन इस बार यह नहीं किया गया।

बाद में बदले नियम, कोर्ट के आदेश को नहीं माना
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई फैसले हैं, जिसमें परीक्षा के बाद भर्ती नियमों में बदलाव को गलत माना गया है। सहकारिता विभाग में हुई परीक्षा के मामले में जारी विज्ञप्ति में 10 नंबर साक्षात्कार के लिए रखे गए थे, लेकिन रिजल्ट आने के बाद बिना साक्षात्कार लिए 1325 लोगों की अंतिम चयन सूची जारी कर दी गई।

चयन कमेटी भंग, परिणाम के बाद बनाई उप समिति:
भर्ती नियमों के अनुसार जिलेवार भर्ती के लिए चयन कमेटी बनाई गई थी। इसमें प्रशासनिक अधिकारी, नाबार्ड का प्रतिनिधि, जिला सहकारी बैंक का सीईओ बैंक का चेयरमैन तथा सहकारिता विभाग का एक सदस्य शामिल किए गए थे। परीक्षा परिणाम घोषित होने के 6 दिन बाद 18 जून को चयन समिति को खत्म कर स्टाफ उप समिति बना दी गई। इसमें स्थानीय बोर्ड को भर्ती के अधिकार दे दिए गए।

दो दिन पहले ज्वॉइन, आदेश बाद में निकाले:
सहकारिता आयुक्त केदार शर्मा ने चयन समिति खत्म करने का आदेश 18 जून को निकाला। अभ्यर्थियों का आरोप है कि कुछ जिलों जैसे छिंदवाड़ा, उज्जैन और नरसिंहपुर में इस आदेश के 3 दिन पहले यानी 15 जून को ही ज्वॉइनिंग करवा दी गई। कुछ जिलों में तो आदेश जारी होने के चंद घंटों में 18 जून को, तो कुछ जिलों में 23 जून को शनिवार की छुट्टी वाले दिन भी ज्वॉइन कराने के मामले सामने आए हैं।

4900 के बजाय घोषित की 3514 की मेरिट लिस्ट:
परीक्षा एजेंसी आईबीपीएस ने सहकारिता विभाग को 12 जून को मेन एग्जाम के 7000 लोगों के परिणाम की सूची सौंपी थी। सहकारिता विभाग ने दो दिन बाद ही 14 जून को देर रात 3514 विद्यार्थियों की मेरिट सूची जारी कर दी, जबकि रिक्त पदों की संख्या के हिसाब से 3 गुना यानी करीब 4900 की सूची घोषित होना थी।

विभाग ने इसमें से भी 1325 आवेदकों को अंतिम रूप से क्वालिफाई माना, लेकिन किस फॉमूर्ले के आधार पर सिर्फ 1325 को क्वालिफाई माना, यह स्पष्ट नहीं है। बाकी अभ्यर्थियों को क्यों चयन सूची से बाहर किया, शेष 300 से ज्यादा पदों पर भर्ती का क्या फॉमूर्ला होगा, जैसी बातों के जवाब कोई देने को तैयार नहीं। इधर, बताया जाता है कि चयनित अभ्यर्थियों को जिलेवार पदस्थापना दे दी गई है।
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