मंत्री पर मेहरबान शिवराज: बेटे को 7 लाख रुपए महीना किराया, रिटायर्ड पत्नी को फिर नौकरी | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह अपनी कैबिनेट के वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं। सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी की स्थापना तो की लेकिन भवन नहीं बनवाया। मंत्री के बेटे का फार्म हाउस किराए पर ले लिया। यूनिवर्सिटी के पास अपनी 100 एकड़ जमीन और 100 करोड़ रुपए हैं फिर भी मंत्री के बेटे को पिछले 6 सालों से 7 लाख रुपए प्रतिमाह किराया दिया जा रहा है। अब मंत्री की रिटायर्ड हो चुकी पत्नी डॉ. किरण शेजवार को फिर से नौकरी पर ले लिया गया है। जिक्र-ए-खास तो यह है कि डॉ. किरण को नौकरी देने के लिए विभाग में एक नया पद भी सृजित किया गया। 

पत्रकार श्री शैलेंद्र चौहान की एक रिपोर्ट के अनुसार वनमंत्री गौरीशंकर शेजवार की पत्नी डॉ. किरण शेजवार की वनविभाग में नियुक्ति बिना किसी विज्ञापन और आवेदन के की गई है। गौरतलब है कि सरकार ने वर्ष 2016 में वनांचलों के लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए दीनदयाल वनांचल योजना शुरू की थी। योजना में साल भर तक कोई चिकित्सा पर्यवेक्षक नहीं था, लेकिन मार्च 2017 में डॉ. किरण को रिटायरमेंट के दो महीने के भीतर ही नया पद सृजित कर नियुक्ति दे दी गई। 

वे बिना मानदेय के सेवा कर रही हैं 
वनाचंल सेवा योजना से डॉ. किरण कोई मानदेय नहीं लेती हैं। वे मंडला, डिंडोरी और बैतूल में 35 लोगों की टीम के साथ सेवा कार्य कर रही हैं। सुधीर कुमार ने प्रस्ताव में मानदेय के बारे में क्या लिखा है, यह मुझे नहीं मालूम। अगर मानदेय जैसी बात होती तो मैं खुद ही इनकार कर देता, जो आदेश अनिमेष शुक्ला ने निकाले थे, उसमें मानदेय नहीं लेने का लिखा गया है। 
डॉ. गौरीशंकर शेजवार, वन मंत्री 

इसलिए उठ रहे सवाल 
चिकित्सा पर्यवेक्षक रखना ही था तो इस पद के लिए आवेदन क्यों नहीं बुलाए गए? 
प्रस्ताव में पीईबी की प्रचलित दर के हिसाब से मानदेय और यात्रा भत्ते का उल्लेख था, लेकिन आदेश में इसका कोई जिक्र क्यों नहीं है? 

ऐसे चली डॉ. किरण की नियुक्ति की फाइल 
संयुक्त वन प्रबंधन व वन विकास अभिकरण के एपीसीसीएफ सुधीर कुमार ने 18 मई 2017 को डॉ. किरण शेजवार को चिकित्सक पर्यवेक्षक बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा। इसमें दीनदयाल वनांचल सेवा योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी वनमंडलों में 274 स्वास्थ्य उन्मुखीकरण प्रशिक्षण और 401 स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन का जिक्र था। वनांचलों में महिलाओं को चिकित्सा संबंधी सुविधाएं मिली थी। प्रस्ताव में लिखा गया कि इन आयोजनों में वन विभाग के मैदानी अधिकारियों और कर्मचारियों को शेजवार का सक्रिय मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग मिलता रहा था। वे 31 मार्च 2017 को स्वास्थ्य विभाग से रिटायर हो चुकी है। वन विभाग को उनकी सेवाएं योजना में मिलती रहे, इसलिए 2017-2018 के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाना प्रस्तावित है। राज्य शासन ने 12 जून को सुधीर कुमार को ही पत्र लिखकर नियमानुसार कार्यवाही के लिए अधिकृत कर दिया था। कुमार ने प्रस्ताव में मानदेय देने और यात्रा भत्ता शासन के नियमानुसार मिलने का उल्लेख भी किया था। एक महीने के भीतर 7 जुलाई 2017 को प्रधान मुख्य वन सरंक्षक डॉ. अनिमेष शुक्ला ने नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। यह नियुक्ति एक साल के लिए थी। नियुक्ति आदेश में मानदेय और यात्रा भत्ते के विषय में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं लिखा गया है। नियमानुसार 7 जुलाई 2018 को उनकी नियुक्ति को एक साल पूरा हो चुका है। 
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