सरकार के आधे अधूरे संविलियन पर अध्यापकों ने जताई नाराजगी, प्रदर्शन का ऐलान

भोपाल। मध्यप्रदेश के पौने तीन लाख अध्यापक आधे अधूरे संविलियन से ठगी का शिकार हो गए। 29 मई को कैबीनेट में लाए गए संविलियन के प्रस्ताव और 21 जनवरी को सीएम हाऊस की घोषणा में जमीन-आसमान का अंतर है। घोषणा पूरी वरिष्ठता के साथ शिक्षकों के समान  वेतन, सेवा शर्तों एवं पदनाम सहित संविलियन की थी, लेकिन कैबिनेट में जुलाई 2018 से नया कैडर बनाकर अध्यापकों को उसमें नियुक्ति किए जाने को मंजूरी दी गई, जो प्रदेश के पौने तीन लाख अध्यापकों के साथ अब तक का सबसे बड़ा छलावा है। 

अध्यापकों को 3 लाख तक का नुक्सान

जनवरी 2016 से मिलने वाले 7वें वेतनमान को जुलाई 2018 से देकर सरकार अध्यापकों का 30 महीने का लगभग 2 से 3 लाख रुपए एरियर का खा गई, जिससे अध्यापक को आर्थिक नुकसान हुआ है। छठवें वेतनमान का भी अब तक ठीक ठीक निर्धारण नहीं हुआ है, उसके एरियर का भी पता नहीं है, सितंबर 2013 से मिलने वाला छठवां वेतनमान अब तक नहीं मिला है, जिससे भी अध्यापक लाखों के आर्थिक नुकसान में हैं, इस तरह सरकार ने संविलियन के बहाने नया कैडर बनाकर अध्यापकों का आर्थिक नुकसान किया है तथा उनकी वरिष्ठता को भी समाप्त किया जा रहा है, इसीलिए ही संविलियन आधा अधूरा है, जिससे अध्यापकों में नाराजगी है और वे आंदोलन के रास्ते पर जाने की मानसिकता में पहुंच गए हैं।

अध्यापक समुदाय ठगा सा महसूस कर रहा है

पांच महीने से संविलियन का इंतजार कर रहे अध्यापक 29 मई तक इस उम्मीद में थे कि अब 22 साल का अन्याय समाप्त हो जाएगा, अध्यापक कैबीनेट के बाद खुशियां मनाने की तैयारी में थे, लेकिन जैसे ही मंत्री नरोत्तम मिश्रा की प्रेस कांफ्रेंस के जरिए उड़ती-उड़ती जानकारी मिली कि सरकार नए कैडर में संविलियन कर रही है, अध्यापकों की खुशियां काफूर हो गईं, उनकी खुशी गुस्से में बदल गई, आज स्थिति यह है कि समूचा अध्यापक समुदाय ठगा हुआ महसूस कर रहा है, जिसे शिक्षकों के समान न वेतन मिला, न पदनाम मिला और न ही ट्रांसफर, अनुकंपा एवं पेंशन जैसी सेवाशर्तें। 

सरकार और अध्यापक नेताओं ने अंधेरे में रखा

अध्यापकों में आक्रोश उस वक्त और बढ़ गया, जब उन्हें सोशल मीडिया के जरिए संविलियन की संक्षेपिका मिली, जिस पर कैबीनेट में चर्चा हुई थी। संविलियन का मसौदा हाथ लगते ही अध्यापकों को संविलियन के सच का पता चल गया, जिसे न सरकार ने बताया और न ही किसी अध्यापक नेता ने। संविलियन के जरिए सरकार ने आर्थिक नुकसान में तो किया ही है 1 जुलाई 2018 से नया कैडर बनाकर 20-22 साल की वरिष्ठता भी समाप्त की गई है। 

सीएम से लेकर शिक्षामंत्री तक सबने वादा किया था

शिक्षकों के समान वेतन एवं सेवा शर्तों का वादा मुख्यमंत्री ने 21 जनवरी को सीएम हाऊस में हजारों अध्यापकों की मौजूदगी में किया था, यही वादा वित्तमंत्री जयंत मलैया ने बजट भाषण में भी दोहराया। 24 मई को शाहजहानीपार्क में शिक्षा मंत्री विजय शाह भी यही बोलकर गए थे कि 29 मई को तमाम अन्याय समाप्त हो जाएंगे तथा 4 जून तक सारे आदेश हाथ में होंगे। सरकार की ओर से बार-बार बधाई गई उम्मीदों के कारण बीते पांच महीने में अध्यापकों ने मुख्यमंत्री, मंत्री एवं विधायकों का हजारों बार स्वागत सत्कार किया इस उम्मीद में कि 20-22 साल का अन्याय खत्म हो रहा है।

जो खेल 2007 में खेला था वही दोहरा दिया

अध्यापक संघर्ष समिति नेता एच एन नरवरिया ने और समस्त संघो के नेताओ ने संविलियन को अध्यापकों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध करने की बात कही। सरकार ने 2007 में शिक्षाकर्मी से अध्यापक बनाकर जो खेल खेला था, 11 साल बाद उसी खेल को एक बार फिर दोहराया गया है, जिसे अध्यापक किसी भी सूरत में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। श्री नरवरिया ने कहा कि 13 पेज की जो संक्षेपिका सोशल मीडिया पर वायरल हुई है, उससे मिली जानकारी बताती है कि जुलाई 2018 से पहले के किसी भी लाभ की मांग अध्यापक नहीं कर सकेगा यानि इस संविलिनय के जरिए सरकार अध्यापकों से न्यायालय जाने का अधिकार भी छीन रही है। 

अध्यापक नेताओं के लालच ने नुक्सान कराया

अध्यापक नेताओं का कहना है कि सरकार की कोशिश अध्यापकों को उलझाकर रखने की हैं। अध्यापक नेताओं ने संगठनों के नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जो नेता पांच महीने से भोपाल के चक्कर लगा रहे थे, वे इतना पता नहीं कर सके कि सरकार देने क्या वाली है? उन्होंने कहा कि अध्यापक नेताओं में सरकार के साथ दोस्ती गांठने की बढ़ती प्रवृत्ति ने ही अध्यापकों का नुकसान कराया है। भाषण में की गई घोषणा पर ही स्वागत सत्कार के लिए आतुर नेताओं ने न तो अध्यापकों के नुकसान की चिंता की और न ही उन्हें मिलने वाले लाभ की परवाह। स्पष्ट है कि संगठनों के नेता सिर्फ मंत्रियों से दोस्ती करने के लिए ही संगठन चला रहे हैं, जिससे अध्यापकों का हित नहीं होने वाला। अध्यापक नेताओं ने कहा कि जिले के अध्यापक शीघ्र ही बैठककर सरकार की ओर से किए गए धो्खे के खिलाफ आवाज उठाएंगे, जिसकी ठोस रणनीति बनाकर आंदोलन का ऐलान किया जाएगा।
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