राकेश दुबे@प्रतिदिन। रेल यात्रियों को सावधान होने की जरूरत है। ट्रेनें रंग बदल रही है अभी तक जो ट्रेने नीले रंग में दिखती हैं अब वह गाढ़ा पीले और ब्राउन कलर में चलती हुई नज़र आएंगी। इस स्कीम के तहत 30 हजार कोच को नए रंग से रंगे जायेंगे। रंग-रोगन के साथ रेलवे अपने रवैया भी बदलने की बात भी कह रहा है। रवैया बदलना एक प्रश्न है, इसका उत्तर रेलवे के व्यवहार में हमेशा नकारात्मक रहा है। इसके बावजूद भारतीय रेलवे को दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। देश में दूर-दूर तक फैला है। दूरस्थ इलाकों को देश के बड़े-बड़े महानगरों से जोड़ने वाली भारतीय रेलवे हर दिन किसी न किसी क्षेत्र में विकास कर रही है।
मार्च 2017 के आंकड़ों की मानें तो रेल नेटवर्क के 121407 किमी के ट्रैक देश के 7216 रेलवे स्टेशनों को आपस में जोड़ता है। भारतीय रेलवे समय-समय पर यात्रियों की सुविधाओं के लिए नए नियम लागू करता रहता है। हालांकि भारतीय रेलवे की छवि आमतौर पर अच्छी नहीं देखी जाती है, इनमें ट्रनों की लेटलतीफी का मुद्दा हमेशा बना रहता है। इसके अलावा टिकट आरक्षण में आने वाली समस्या और टीटीई का बुरा बर्ताव आम है। यात्रियों का रेल में रेलवे विभाग के जिस अधिकृत प्रतिनिधि से सबसे ज्यादा सरोकार जुड़ता है, वो टिकट चेकर ही होता है। रेलवे की सारी छवि इनके व्यवहार से जुडी होती है, अभी तक उनके रवैये की जो छवि है। उससे सब परिचित हैं।
अब इन्ही के हाथ में एक नया औजार और रेलवे देने जा रहा है। यह ज्यादा लगेज पर जुर्माना वसूलना है। हर रेलवे स्टेशन और हर कोच में लगेज के वजन निर्धारण की व्यवस्था एयरपोर्ट की तरह नहीं है। इसके बावजूद रेल मंत्रालय 2006 के लगेज एंड पार्सल रूल्स को कड़ाई से लागू करने पर विचार कर रहा है। अभी इन नियमों को लेकर रेलवे का रवैया ढीलाढाला है लेकिन अब इसे किराया-भाड़ा बढ़ाए बगैर रेलवे की आमदनी बढ़ाने के परोक्ष औजार के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी हो रही है। इन नियमों के मुताबिक एसी फर्स्ट क्लास में बुक करने के बाद अधिकतम 150 किलोग्राम सामान ले जाया जा सकता है। इसमें से 70 किलोग्राम तक सामान पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। जबकि इससे 15 किलोग्राम तक ज्यादा सामान पर डेढ़ गुना दर से शुल्क लगेगा। परंतु यदि सामान का वजन इससे भी ज्यादा हुआ तो टीटीई को छह गुना शुल्क वसूलने का अधिकार है। इसी प्रकार फर्स्ट क्लास अथवा सेकंड एसी के लिए सामान की अधिकतम सीमा 100 किलोग्राम और निशुल्क सीमा 50 किलोग्राम है। निशुल्क सीमा से 10 किलो तक अधिक (अर्थात कुल 60 किलो) वजन पर अतिरिक्त वजन के अनुसार डेढ़ गुना शुल्क और उससे भी ज्यादा वजन अथवा बिना बुकिंग का सामान होने पर टीटीई द्वारा छह गुना पेनल्टी लगाई जा सकती है। एसी थर्ड के मामले में अधिकतम और निशुल्क सीमा दोनो 40 किलो की है। वजन निर्धारण यात्री की जेब हल्की टीटीई की जेब भारी करेगा। रेल वे को कितना लाभ होगा कहना मुश्किल है। देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
आज से ही लागू एक निर्णय सराहनीय भी है दिल्ली से चलने वाली चार राजधानी व चार शताब्दी ट्रेनों में इसकी शुरुआत की गई है। आने वाले समय में अन्य ट्रेनों में भी इसे लागू किया जाएगा। ट्रेनों में यात्रियों को प्लास्टिक के बने प्लेट व कंटेनर में खाने-पीने के सामान दिए जाते हैं। प्रयोग करने के बाद ये नष्ट नहीं होते हैं जिससे प्रदूषण फैलता है। इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय रेलवे अब ऐसे प्लेट और कंटेनर का प्रयोग करने जा रहा है जो पर्यावरण के लिए घातक न हो। प्रयोग के बाद आसानी से नष्ट होकर प्रकृति में विलीन ही जाएँ। इस पहल का स्वागत है, बाकी रंग और तेवर देखिये।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।