यदि आपके पास भी है कोई PDC तो चैक कर लें, इन बैंकों का तो नहीं

नई दिल्ली। लोग हर रोज करोड़ों का लेनदेन करते हैं। व्यक्तिगत तौर पर पैसे उधार देते हैं। सामान बेचते हैं और बदले में पीडीसी ले लेते हैं। पोस्ट डेटेड चेक (POST DATED CHEQUE) इस बात की गारंटी होते है कि आपका MONEY सुरक्षित है यदि सामने वाला पैसे देने से मुकर जाता है तो भारत का कानून आपके साथ है परंतु कृपया नोट कर लें, इन 4 बैंकों के चेक प्रचलन से बंद होने वाले हैं क्योंकि ये BANK ही बंद होने वाले हैं। इनका मर्जर होने जा रहा है। हम उस बैंक की खबरों पर तो हमेशा ध्यान देते हैं जिनमें हमारे खाते होते हैं, परंतु उन बैंकों पर कभी ध्यान नहीं देते, जिनके पीडीसी हमारे पास होते हैं। 

पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार 4 बैंकों के मर्जर प्लान पर काम कर रही है। अगर सरकार ने इन 4 बैंकों के मर्जर को मंजूरी दे दी तो देश में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद ये दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक तैयार होगा। इस मर्जर ने से केवल बैंकों की खस्ताहाल में सुधार होगा बल्कि केंद्र सरकार के लिए बोझ बन चुके बैंकों भी अपने घाटे से उबर सकेंगे। सरकार आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को मिलाकर एक बड़ा सरकारी बैंक बनाने के प्लान पर काम कर रही है। इन बैंकों को मिलाकर तैयार नए बैंक के पास कुल संपत्ति 16.58 लाख करोड़ रुपए की होगी। अगर ऐसा हुआ तो 4 बैंकों को मिलाकर तैयार बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा।

BANK के लिए भी फायदेमंद

अगर इन 4 बैंको के साल 2018 के घाटे को देखे तो इन बैंकों का कुल घाटा लगभग 22000 करोड़ रुपए का है। ऐसे में बैंकों के मर्जर से इन बैंकों को भी फायदा होगा, क्योंकि अभी चारों बैंकों को अलग-अलग घाटे से गुजपना पड़ा रहा है। अगर बैंकों का मर्जर होता है ति एक होने के बाद नए बैंक में सबसे कमजोर कड़ी अपनी संपत्ति आसानी से बेच सकेगी और उससे बैंक अपने घाटे की पूर्ती कर पाएंगे।

घाटे से उबरने में होगी मदद

इतना ही नहीं बल्कि मर्जर के बाद कमजोर बैंक अपने घाटे को कम करने के लिए उन ब्रांचों को भी बंद कर पाएंगे, जहां सबसे ज्यादा घाटा उठाना पड़ रहा है। वहीं बैंक उन क्षेत्रों में अपनी शाखाओं को जारी रखते हुए विस्तार कर सकेंगे, जहां बैंक फायदे में है। इसके अलावा मर्जर के बाद बैंक अपने कर्मचारियों की छंटनी को आसानी से कर पाएंगे। बैंकों की खस्ताहालत को सुधारने के लिए केंद्र सरकार बैंकों में हिस्सेदारी बेचने पर भी विचार कर रही है। जिन चारों बैंकों के मर्जर की तैयारी की जा रही है उनमें से सबसे बुरी हालत IDBI की है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार इस बैंक में लगभग 51 फीसदी तक की हिस्सेदारी किसी निजी कंपनी को बेच सकती है। इतना ही नहीं मर्जर के बाद बैंकों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च में भी कटौती होगी।
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