
जारी किए गए फुटेज में कुछ पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले को दिखाया गया है। यह फुटेज ड्रोन कैमरों और कमांडो के हैलमेट में लगे कैमरों से लिए गए हैं। इस पूरी कार्रवाई में हिस्सा लेने वाले सभी भारतीय सैनिक सुरक्षित वापस आ गए थे। कहते हैं यह फुटेज प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किया गया है। फुटेज जारी करने से पहले रक्षा मंत्रालय या सेना को जानकारी नहीं दी गई लेकिन यह बात पक्की है फुटेज भारत सरकार के प्रचार विभाग पीआईबी की ओर से जारी नहीं किया गया।
तत्कालीन रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने कहा कि जो फुटेज सामने आया वो पूरी कार्रवाई का बहुत छोटा हिस्सा है। इस बीच फुटेज को लेकर भी बहस छिड़ गई है। क्या इस तरह का संवेदनशील फुटेज जारी किया जाना चाहिए था? एक सवाल यह भी है पूछा जा रहा है कि क्या इस फुटेज को डेढ़ साल पहले सितंबर-अक्तूबर 2016 में सैनिक कार्रवाई के बाद ही जारी नहीं कर दिया जाना चाहिए था। तब इस फुटेज को कुछ लोगों ने देखा था लेकिन इसे जारी नहीं किया गया था।
सर्जिकल स्ट्राइक का कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल कर रही हैं। इस बार शुरुआत पूर्व केंद्रीय मंत्री और बागी बीजेपी नेता अरुण शौरी के बयान से हुई, जिसमें उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जिकल स्ट्राइक करार दिया था। इसी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का फुटेज पहली बार सामने आया। दरअसल, न तो सर्जिकल स्ट्राइक और न ही उसके फुटेज के बारे में आम जनता के मन में कोई संदेह कभी था, लेकिन यह कुछ सियासी पार्टियों की ही करामात ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की थी। अब सवाल यह है कि क्या भाजपा इसका सियासी फायदा उठाना चाहती है? क्या इसका मकसद 2019 से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार की सख्त छवि को और ज्यादा दुरुस्त करना है? उत्तर देती भाजपा और फुटेज सामने है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।