काश्मीर: आतंकियों के मुकाबले एनएसजी | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। काश्मीर में आतंकवादियों से निबटने में राज्यपाल सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती।जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद आतंकवादियों के खिलाफ चौतरफा मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली गई है। केंद्र ने भी उसे इस मामले में अर्थात ऑपरेशन ऑल आउट अभियान को सख्ती से आगे बढ़ाने  में हर संभव मदद की जो बात कही  थी उसके तहत अब सरकार ने नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) को राज्य में आतंकवाद निरोधक ग्रिड में शामिल करने का फैसला किया है। एनएसजी विशेष परिस्थितियों में न सिर्फ आतंकवादियों से सीधा लोहा लेगा, बल्कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ सीआरपीएफ को सघन आबादी वाले क्षेत्रों में आतंकियों से मुकाबले के लिए प्रशिक्षित भी करेगा।  

आतंकवाद निरोधक ग्रिड में एनएसजी को शामिल करने का प्रस्ताव अरसे से लंबित था। जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार के कारण केंद्र सरकार इस पर अंतिम फैसला नहीं कर पा रही थी। मगर अब पीडीपी-भाजपा के सियासी तलाक के बाद सूबे में लगे राज्यपाल शासन के कारण केंद्र सरकार सियासी मजबूरियों के दबाव से बाहर आ गई है। गृह मंत्रालय ने एनएससी को न सिर्फ आतंकवाद निरोधक ग्रिड में शामिल करने की मंजूरी दी है, बल्कि जरूरत पडने पर आतंकी मुठभेड़ के दौरान मौके पर मोर्चा संभालने देने का भी फैसला किया है।  एनएसजी की भूमिका को बढ़ाते हुए गृह मंत्रालय ने इस विशेष ग्रुप को जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ को प्रशिक्षित करने की भी योजना तैयार की है। 

एनएसजी खासतौर पर इन्हें घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का विशेष प्रशिक्षण देगा। दरअसल ऑपरेशन ऑल आउट के कारण ६०० आतंकियों के साफाए के बाद घाटी में महज २०० आतंकी बचे हैं। केंद्र सरकार की योजना इन बचे आतंकियों को जल्द से जल्द ठिकाने लगाने की है। आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि आतंकवादियों-उग्रवादियों के निशाने पर मुख्य रूप से जनता है. देश के कुछ हिस्सों में आतंकवादियों-उग्रवादियों को जनता का समर्थन बरकरार है.’’ रिपोर्ट कहती है, ‘‘जब तक राष्ट्र-विरोधी तत्वों को जनता का समर्थन नहीं रकेगा, तब तक आतंकवाद की गतिविधियां जारी रहेंगी| आईईडी की समस्या को समाप्त करने के लिए गंभीर प्रयास जरूरी हैं. देश के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए ‘पूरे राष्ट्र’ की भावना के साथ प्रयास करने से आगे का रास्ता निकलेगा.’’

यद्यपि इस रिपोर्ट में विस्तार से नहीं बताया गया है कि उग्रवादियों को जनता का समर्थन कैसे मिलता है लेकिन यह समझा जाता है कि पुलिस बल और इन घटनाओं के बारे में  विभिन्न एजेंसियों के राष्ट्रीय बम डाटा केंद्र (एनबीडीसी) को रिपोर्ट करने वाली अन्य एजेंसियां स्थानीय लोगों और इस तरह के विस्फोटों को अंजाम देने वालों के बीच सामने आईं कड़ियों के संबंध में भी जानकारी साझा करती हैं| लगता है अब आतंकियों को कड़ा जवाब मिलेगा।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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