चेक बाउंस: समन का नया फॉर्मेट जारी, समझौते का मिलेगा मौका

कुलदीप भावसार/इंदौर। चेक बाउंस मामलों में अब समन अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे प्रारूप में जारी नहीं होगा। हाई कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालयों को सर्कुलर जारी कर इसका नया फॉर्मेट जारी किया है। कोर्ट समन जारी करने के साथ आरोपित से पूछेगी कि क्या वह समझौता करना चाहता है। उसे स्वतंत्रता रहेगी कि वह परिवादी या कोर्ट के खाते में रकम जमा कर ई-मेल से कोर्ट व परिवादी को रसीद भेज दे। ऐसे में उसे पेशी पर उपस्थित हो जमानत करने से मुक्ति मिलेगी व कोर्ट प्रकरण खत्म कर देगी। नए फॉर्मेट से शिकायतकर्ता की राह भी आसान हो जाएगी।

जिला कोर्ट में वर्तमान में चेक बाउंस के 15 हजार से ज्यादा प्रकरण लंबित हैं। हर माह करीब एक हजार नए केस बढ़ जाते हैं। आमतौर पर इनकी सुनवाई सालो-साल चलती है। परिवादी और आरोपित दोनों परेशान होते हैं। चेक बाउंस का केस पंजीबद्ध होने के बाद कोर्ट आरोपित को समन जारी करती है। इसके प्रारूप में अब तक प्रकरण के टाइटल के साथ आरोपित को पेशी तारीख और न्यायालय की जानकारी दी जाती थी। अब हाई कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालयों के लिए सर्कुलर जारी कर समन का नया प्रारूप जारी किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि नए फॉर्मेट के बाद परिवादी को पैसा मिलने की राह आसान हो जाएगी।

ऐसा है नया फॉर्मेट : 

नए फॉर्मेट में कोर्ट आरोपित को प्रकरण की पूरी जानकारी देगी। उसे बताया जाएगा कि उसके द्वारा दिया गया चेक अनादरित हो गया है। वह चाहे तो परिवादी के बैंक खाते में राशि जमा कर प्रकरण को समाप्त करवा सकता है। इस रकम पर उसे बैंक दर से ब्याज देना होगा। आरोपित चाहे तो उक्त रकम सीधे परिवादी के बैंक खाते में जमा करवाकर इसकी रसीद ई-मेल से कोर्ट भेज सकता है। उसे कोर्ट में उपस्थित होकर जमानत कराने की जरूरत नहीं रहेगी। समन के साथ कोर्ट आरोपित को एक प्रश्नावली भी जारी करेगी। इसमें उससे पूछा जाएगा कि क्या वह मामले में समझौता करना चाहता है। अगर वह इसकी हामी भरता है तो कोर्ट उसे इसके लिए एक-दो पेशी तक मौका भी देगी।

प्रकरणों की संख्या में आएगी कमी
समन का नया फॉर्मेट लागू होने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि चेक बाउंस केस में कमी आएगी। जिला कोर्ट में हर माह 1 हजार नए केस पंजीबद्ध होते हैं। ज्यादातर ऐसे होते हैं जिनमें समझौते की संभावना तो होती है लेकिन अलग-अलग कारणों से ये केस सालो-चलते रहते हैं। नया फॉर्मेट लागू होने पर आरोपितों के साथ परिवादियों को भी राहत मिलेगी। उन्हें 1-2 पेशी में ही पैसा मिल सकेगा।

कार्यभार कम होगा समन के नए फॉर्मेट से प्रकरणों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। न्यायालयों में कार्यभार कम होगा। परिवादी को चेक की रकम मिलने का रास्ता आसान हो जाएगा। -विनय सराफ, सीनियर एडवोकेट, हाईकोर्ट
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