
इसी के साथ हाई कोर्ट ने देवरिया की 16 साल की नाबालिग लड़की को बलिया के नारी निकेतन में रखने के न्यायिक मैजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया है और उसे अपनी मर्जी से अपने पति के साथ जाने के लिए स्वतंत्र कर दिया है। यह आदेश जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने नाबालिग याची की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची ने रवि निषाद नामक युवक से अपनी माता-पिता की मर्जी के खिलाफ घर से भागकर शादी कर ली थी लेकिन नाबालिग होने के कारण याची को 5 फरवरी 2018 को देवरिया के न्यायिक मैजिस्ट्रेट ने नारी निकेतन में भेज दिया। इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। याची का कहना था कि उसे उसकी मर्जी के खिलाफ नारी निकेतन में रखा गया है।
कोर्ट में हाजिर याची को मां के साथ कोर्ट ने बातचीत का मौका दिया और पूछा गया तो याची ने मां के साथ जाने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही याची ने कहा कि वह अपने पति के साथ जाना चाहती है। मां की तरफ से कहा गया कि याची नाबालिग है और वह सही निर्णय लेने में सक्षम नहीं है लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए नाबालिग याची को अपने पति के साथ जाने की छूट दे दी। कोर्ट ने कहा कि याची अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेने में सक्षम है।
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