शिवराज सिंह ने आदिवासियों को तालाब के बदले एयरपोर्ट दे दिया

जबलपुर। यहां पिछले 7 दिनों से भाजपा के लिए सिरदर्द पैदा करने वाला घटनाक्रम चल रहा है। गोंडवाना समाज के आदिवासी शिवराज सिंह सरकार एवं भाजपा के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। शुरूआत में भाजपा ने इसे हल्के में लिया। नींद तो तब टूटी जब भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को आदिवासियों ने ना केवल दो टूक जवाब देकर बेरंग लौटा दिया बल्कि समाज से बेदखल करने की चेतावनी भी दे दी। अंतत: सीएम शिवराज सिंह ने इस समस्या का हल निकालने की कोशिश की है। उन्होंने गोंडवाना आदिवासियों को तालाब के बदले एयरपोर्ट देने का ऐलान किया है। अब देखना यह है कि गोंडवाना समाज क्या फैसला करता है। 

डुमना एयरपोर्ट का नाम रानी दुर्गावती विमानतल होगा


एक दिन के दौरे पर जबलपुर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां के डुमना एयरपोर्ट का नाम बदलने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि डुमना एयरपोर्ट अब रानी दुर्गावती विमानतल के नाम से जाना जाएगा। विमानतल का नाम बदलने के लिए सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्ताव लाया जाएगा। मुख्यमंत्री यहां रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर आयोजित आदिवासी सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। 

तालाब के बदले एयरपोर्ट: विवाद क्या है

दरअसल, गिलौआ ताल से रानी दुर्गावति की स्मृतियां जुड़ी हुईं हैं। गोंडवाना समाज के लोग चाहते थे कि यहां रानी दुर्गावति की प्रतिमा स्थापित की जाए परंतु भाजपा नेताओं ने प्रशासन पर दवाब बनाकर गिलौआ ताल पर भाजपा के संस्थापक नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा लगवा दी। बस फिर क्या था गोंडवाना समाज के आदिवासी भड़क गए। वो लगातार एक सप्ताह तक अनशन पर बैठे रहे। भाजपा ने शुरूआत में तो इसे हल्के में लिया। जब सप्ताह पूरा होने आया तो अपने आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते को भेज दिया परंतु जब कुलस्ते भी बेरंग लौट आए तो सीएम शिवराज सिंह को समझ आ गया कि अब मामला गंभीर हो गया है। चुनाव साल में आदिवासी का विरोध हानिकारक हो सकता है। इधर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा भी उखड़वा नहीं सकते अत: तालाब किनारे मूर्ति के बजाए एयरपोर्ट का नाम बदलने की चाल चली गई है। 

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