बजरंग दल का हथियार ट्रेनिंग कैंप, और कुछ सुलगते सवाल

भोपाल। यूं तो भारत में अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस अधिकृत है, आतंकवादियों को मारने के लिए सेना परंतु बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को जिहादियों से निपटने के लिए हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही है। मप्र के राजगढ़ में यह ट्रेनिंग कैंप आयोजित किया गया। यहां कार्यकर्ताओं को लाठियों सहित बंदूक चलाने की भी ट्रेनिंग दी गई। सबसे बड़ी बात यह है कि यह ट्रेनिंग आत्मरक्षा के लिए नहीं बल्कि लवजिहादियों से निपटने के लिए दी जा रही है। 

बजरंग दल के जिला संयोजक देवी सिंह सोंधिया ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि यह एक नियमित शिविर है, जिसे हम सालाना आयोजित करते हैं। सोंधिया ने कहा कि ट्रेनिंग कैंप का मकसद राष्ट्र विरोधी ताकतों और लव जिहाद तत्वों से निपटने के लिए है। बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं है जब बजरंग दल अपने कार्यकर्ताओं को हिंदुओं की रक्षा के नाम पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहा है। इससे पहले भी कई आयोजन हो चुके हैं। 

कुछ सुलगते सवाल

भारत के कानून में आत्मरक्षा के लिए हथियार उठाना उठाना अपराध नहीं है लेकिन समाज में मौजूद अपराधियों के खिलाफ हथियार उठाना आईपीसी के तहत अपराध माना गया है। कानून कहता है कि अपराधियों की सूचना पुलिस को दीजिए। वो कार्रवाई करेगी, तो क्या बजरंग दल को पुलिस पर भरोसा नहीं है। कानून पर भरोसा नहीं है। जबकि सरकार भाजपा की है। 
ड्राइविंग हो या हथियार चलाना। ट्रेनिंग देने से पहले ट्रेनर को लाइसेंस लेना होता है। बजरंग दल को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का लाइसेंस किसने दिया। क्या ऐसा कोई लाइसेंस है इनके पास। 
सबसे बड़ा सवाल यह कि लव जिहादियों का हथियारों से ये लोग क्या कर लेंगे। वो चुपके से आते हैं। अपना जाल फैलाते हैं। जागरुकता ही उनसे बचाव का एकमात्र उपाय है। जेल की सलाखें ही उन्हे रोक सकतीं हैं। वो किसी पर हमला नहीं करते जो बचाव किया जाए तो क्या बजरंग दल लव जिहादियों का एनकाउंटर करेंगे। 
चलते चलते अंतिम सवाल यह कि बजरंग दल दशकों से अपने कार्यकर्ताओं को हथियारों की ट्रेनिंग देता आ रहा है। अब तक बजरंग दल ने किस आतंकवादी से भारत की रक्षा कर ली। कब कब अपराधियों के हमले के वक्त बजरंग दल के कार्यकर्ता जनता की रक्षा के लिए आगे आए।
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