नाले से खींचकर बस निकाली तो सीट में फंसा था शिखा का शव | GWALIOR NEWS

Bhopal Samachar
ग्वालियर। नोएडा से नैनीताल (उत्तराखंड) जा रही बस रामपुर के पास बेकाबू होकर खाई में गिर गई। इससे उसमें सवार ग्वालियर के डीडी नगर क्षेत्र की शिखा पांडेय (23) की मौत हो गई। जबकि उसके सभी साथी सकुशल निकल आए। यह एक्सीडेंट जानलेवा नहीं था। बस 13 फीट नीचे गंदे नाले में गिरी जिससे यात्री घायल तो हुए परंतु मौत नहीं हुई। सभी ने एक दूसरे की मदद की और इमरजेंसी विंडो से बाहर निकल आए लेकिन शिखा नहीं ​थी। बस ग्रामीणों ने ट्रेक्टर से बांधकर बस को निकाला तो सीट में फंसा हुआ शिखा का शव मिला। 

इंडिया मार्ट के पिकनिक टूर पर गई थी
शिखा ने 6 महीने पहले ही INDIA MART कंपनी नाेएडा में सहायक प्रबंधक के पद पर ज्वॉइनिंग दी थी। उसने 2015 में यहां आईटीएम काॅलेज से बीसीए किया था। जानकारी के मुताबिक बस में सवार लोग इंडिया मार्ट कंपनी के थे। जो जिम कार्बेट पार्क घूमने जा रहे थे। ये लोग रात 11.30 बजे नोएडा से नैनीताल के लिए रवाना हुए थे। शिखा के पिता प्रभाकर पांडेय पेशे से वकील हैं आैर उसके भाई राजदीप की एक कंसल्टेंसी नाम की फर्म है। 

काश उसे रोक लिया होता: मां
दो दिन पहले शिखा का फोन आया था। मैंने उससे कहा था-शनिवार व रविवार की छुट्टी है तो घर (ग्वालियर) आ जा। इस पर उसने कहा- मेरा छुट्टी में नैनीताल जाने का प्रोग्राम है। मैंने आज तक उसे कहीं आने-जाने से नहीं रोका, इसलिए जाने के लिए कह दिया। मुझे क्या पता था कि वह इस तरह दुनिया से ही चली जाएगी। काश, मैंने उसे नैनीताल जाने से रोक दिया होता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता।
:शिखा की मां वैष्णवी

कंपनी मैनेजर ला रहे हैं शव
शनिवार को दोपहर यहां पहुंची शिखा की मौत की खबर के बाद से भगतसिंह नगर में उसके आसपास रहने वाले लोग भी सदमे में हैं। रामपुर में ही उसके शव का पीएम होने के बाद उसकी कंपनी के प्रबंधक विनय नागवानी शाम 4 बजे शव को लेकर ग्वालियर के लिए रवाना हो चुके हैं। परिवार के लोगों को ग्वालियर से वहां तक पहुंचने में काफी समय लगता, इसलिए वे वहां नहीं गए। शिखा के पिता प्रभाकर पांडेय ने गोला का मंदिर थाने में आधार कार्ड प्रस्तुत कर शिखा का शव कंपनी के मैनेजर विनय नागवानी को देने का अनुरोध किया था। 

शिखा तो जाना ही नहीं चाहती थी
उधर शिखा के भाई राजदीप पांडेय का कहना है- शिखा टूर पर नहीं जाना चाहती थी । खराब मौसम के बाद भी कंपनी के साथियों ने उस पर दबाव बनाया आैर वह चली गई।

शिखा के साथियों ने बताई कहानी
हमारा 22 लोगों का ग्रुप नैनीताल में स्थित जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान घूमने जा रहा था। सुबह 6.30 बजे सभी लोग नींद में थे। अचानक झटका लगा तो आंख खुल गई। बस खाई में झुकती दिखाई दी। उसके बाद चीख-पुकार के बीच बस करीब 13 फीट नीचे खाई में गिर पड़ी। बस के भीतर हमारी कमर के ऊपर तक पानी भर गया। हमने सबसे पहले लड़कियों को इमरजेंसी विंडो से बाहर निकाला। खाई के पानी में बदबू के कारण दम घुट रहा था। बस की इमरजेंसी विंडो काफी छोटी थी। इसके चलते बचाव कार्य में परेशानी हो रही थी। 15-20 मिनट की कोशिश के बाद सभी लोग सुरक्षित निकलकर आ गए। बाहर आने के बाद जब हम लोग सामान्य हुए तो शिखा दिखाई नहीं दी। इसके बाद हम 7 लोग दोबारा से नाले में उतरे। वहां गंदे पानी के कारण बस में शिखा नजर नहीं आ रही थी। तब हमने ग्रामीणों से मदद मांगी। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर से खींचकर बस को बाहर निकाला। बस के बाहर आने के बाद तलाश किया तो शिखा सीटों के बीच में फंसी दिखाई दी। उसके पैर, कंधे अौर हाथ सीट टूटने के कारण फंसे हुए थे।
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