तूतीकोरिन को भोपाल बनने से रोकिये | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। पता नहीं सरकार कब कुछ करेगी। तूतीकोरिन, आन्दोलन कई बलि लेने के बाद भी जारी है। यह आन्दोलन बेवजह नहीं है, इस कारखाने से निकलने वाला लावा जल, थल और वायु प्रदूषण को बढ़ा रहा है। 2008 में तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज ने एक रिपोर्ट जारी की थी, 'हेल्थ स्टेटस एंड एपिडेमियोलॉजिकल स्टडी अराउंड 5 किलोमीटर रेडियस ऑफ स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (इंडिया) लिमिटेड’ नाम की रिपोर्ट में इस कॉपर इकाई को यहां के निवासियों में सांस की बीमारियों के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। 

रिपोर्ट में बताया गया था कि कुमारेदियापुरम और थेरकु वीरपनदीयापुरम के भूमिगत जल में आयरन की मात्रा तय सरकारी मानक से 17 से 20 गुना ज्यादा है। जिसके कारण यहां के लोगों में कमजोरी बढ़ रही है, पेट और जोड़ों में दर्द की शिकायत हो रही है। इस कारखाने के आसपास सांस के मरीजों की संख्या भी अधिक पाई गई। इसके अलावा 'साइनस’ और 'फैरिनगाइटिस’ सहित आंख, नाक व गले के अन्य रोगों से यहां के निवासी पीड़ित पाए गए।

तमिलनाडु में 2015 में जो भीषण बाढ़ आई थी, उसकी भयावहता बढ़ाने में भी यह फैक्ट्री जिम्मेदार है। क्योंकि थूथूकुडी जिले में नदी के किनारे जिन जगहों पर कॉपर यूनिट से निकलने वाला स्लैग गिराया गया था, वहां पानी के बढ़े हुए स्तर के कारण बाढ़ ने और अधिक नुकसान पहुंचाया। तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 14 मार्च, 2017 को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर कंपनी पर पर्यावरण से जुड़े कई मानकों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, इसमें नदी में कॉपर स्लैग डालना भी शामिल था। ये तमाम तथ्य स्टरलाइट इंडस्ट्री द्वारा पर्यावरण की अनदेखी को बयां कर रहे हैं। इसी वजह से उसे महाराष्ट्र से तमिलनाडु शिफ्ट होना पड़ा। 

1992 में महाराष्ट्र उद्योग विकास निगम ने रत्नागिरि में स्टरलाइट लिमिटेड को 500 एकड़ ज़मीन का आबंटन किया था, बाद में स्थानीय लोगों ने परियोजना का विरोध किया जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर जांच के लिए एक कमेटी बना दी। कमेटी 1993 में अपनी रिपोर्ट दी और इसके आधार पर ज़िला अधिकारी ने कंपनी को उस इलाके में निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया। बाद में यही फैक्ट्री महाराष्ट्र से तमिलनाडु शिफ़्ट कर दी गई।

भारत विश्व की भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक भोपाल गैस कांड का भुक्तभोगी है। 1984 में हुए उस भयावह हादसे के जख्म अब भी पीड़ितों को तकलीफ देते हैं। सरकार तो बस मुकदमे के फैसलों के इंतजार में रही और अपराधी मुक्त हो गये। तूतीकोरिन दूसरा भोपाल न बने। चिंता कीजिये।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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