
नए कर कानून में हुए संशोधनों के बाद उठ रहे सवालों और जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए इसका आयोजन किया गया। सीए सर्राफ ने पेनल्टी के कानून पर बने संशय को दूर करते हुए बताया कि यदि किसी व्यक्ति ने गलत टैक्स जमा किया है या नहीं किया या गलत क्रेडिट ले लिया है तो 10 हजार रुपए या देय राशि के 10 प्रतिशत तक पेनल्टी लगेगी। हालांकि नियम में यह भी लिखा है कि व्यक्ति की मंशा गलत रही और फ्रॉड के लिए ऐसा किया गया तो फिर पेनल्टी कम से कम दस हजार से लेकर देय कर के बराबर हो सकती है।
क्रेडिट का अजब नियम
वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट के तहत जीएसटी की व्याख्या करते हुए गोयल ने कहा कि वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट को डीम्ड सेल्स ऑफ गुड्स माना गया है। उन्होंने बताया किसी व्यवसायी ने अपनी फैक्टरी के निर्माण में सीमेंट, स्टील, रेट, टाइल्स, पेंट जैसी वस्तुओं पर पूरा जीएसटी चुकाकर परिसर निर्माण किया। बाद में उस फैक्टरी में निर्मित उत्पाद जीएसटी चुकाकर बेचे, फिर भी उस कारोबारी को निर्माण में उपयोग किए मटैरियल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगी।
हालांकि व्यवसायी मशीनें खरीदता है और उन्हें स्थापित करने के लिए फैक्टरी में उसके फाउंडेशन में सीमेंट, रेत, स्टील जैसी निर्माण सामग्री का उपयोग करता है तो उसे इन सभी वस्तुओं पर क्रेडिट प्राप्त करने की पात्रता रहेगी। अलग-अलग जीएसटी दरों का माल एक साथ एक ही पैकेट में एक कीमत पर बेचा जाता है तो उस पैकेट के विक्रय पर पैकेट के अंदर विक्रित वस्तुओं में जिस पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है, उसी दर से जीएसटी चुकाना होगा।
...तो बिल्डर और खरीदार पर जिम्मेदारी नहीं
सीएस प्रखर गोयल ने तीसरे सत्र में रियल एस्टेट ट्रांजेक्शन पर जीएसटी की बारिकियों को समझाया। उन्होंने बताया बिल्डर निर्माण पूरा होने के पहले भवन बेचता है तो उस पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। ग्राहकों ने पहले कोई वैट या सर्विस टैक्स भुगतान कर दिया है तो बिल्डर द्वारा उसकी छूट देकर शेष जीएसटी वसूला जा सकता है। हालांकि निर्माण का कंपलीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद उसका विक्रय होता है तो बिल्डर और खरीदार दोनों पर जीएसटी का दायित्व नहीं आएगा।