
श्रीराम भक्त हनुमान को समर्पित मंगलवार के दिन शनि जयंती आ रही हैं। इस दिन मंगलग्रह का भी आधिपत्य स्थापित है। वर्तमान समय में मंगल अपनी उच्च राशि मकर में हैं। शनि जयंती 205 साल बाद मंगलवार दिन आ रही है। पूर्व में 30 मई 1813 को मंगलवार के दिन शनि जयंती पड़ी थी। तब भी मंगल केतु के साथ मकर राशि में और राहू कर्क राशि में थे। तथा बुध मेष में थे। 2018 में शनि धनु राशि में वक्री चल रहे है। 29 साल पूर्व भी शनि धनु राशि में थे जब शनि जयंती मनाई गई थी।
ज्योतिषाचार्य पंडित संतराम ने बताया कि, इस बार शनि जयंती के दिन सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इसके साथ ही वटसावित्री अमावस्या और भौमवती अमावस्या भी है। इसलिए इस खास योग में अगर साढ़ेसाती, शनि के ढैया या महादशा से जूझ रहे लोगों के कष्ट इस दिन हमेशा के लिए दूर हो सकते हैं। इसलिए शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ये उपाय जरूर करें।
- शनि जयंती के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से रोग दूर होते है।
- कलयुग में शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन दान करना चाहिए।
- सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का 21 आवृत्ति पाठ करें।
- हनुमान चालीसा का 1 आवृति पाठ प्रतिदिन करने का संकल्प लें।
- सूर्योदय से पहले निद्रा का त्याग करें। स्नान के बाद शनि महाराज की पूजा करें।
- सरसों के तेल में तिल डालकर शनिदेव की प्रतिमा के नीचे दीपक जलाएं।
- इस दिन काले कपड़े पहने।
- नाखूनों से जमीन खोदने की आदत त्याग दें।
- शनि की कृपा के लिए काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल आदि का दान करें।
- इस दिन काले चने को भूनकर उनका भोग शनिदेव को लगाएं।
- निर्धन नागरिकों को प्रसाद वितरित करें।
काले घोड़े के नाल की अंगूठी या नाव के कील की अंगूठी पहनना भी साढ़ेसाती के कष्ट में राहत देता है। इस दिन काली चीटियों को आटा या फिर मीठा खिलाने से भी लाभ मिलता है।
एक सफल टोटका यह भी है
कांसे की कटोरी में तेल भरकर उसे रात को रख दें। इसके बाद सुबह उसमें अपना चेहरे देखें और उसे शनिदेव की मूर्ति पर चढ़ाएं।