मोदी का झूठ पकड़ा गया: इतिहास में दर्ज है नेहरू और भगत सिंह की मुलाकात

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी का झूठ पकड़ा गया है। 9 मई को कर्नाटक के बिदर में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, 'जब शहीद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त और वीर सावरकर देश की आजादी के लिए जेल में लड़ रहे थे। क्या कोई कांग्रेस नेता उनसे मिलने गया था?'उन्होंने कहा, 'लेकिन, कांग्रेस नेता जेल में बंद भ्रष्ट लोगों से मिलते हैं। इस तरह से प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी पर हमला किया था जो दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती भ्रष्टाचार के दोषी कैदी लालू प्रसाद यादव से मिलने गए थे। 

इतिहास बताता है कि पीएम मोदी ने झूठ बोला

ये दस्तावेजों में दर्ज है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाहौर जेल में 8 अगस्त, 1929 को भगत सिंह और उनके साथियों से मुलाकात की थी, जो प्रशासन के दुर्व्यवहार के खिलाफ जेल में भूख हड़ताल कर रहे थे। इसके साथ सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस बारे में तथ्य सामने रखे। नई दिल्ली स्थित नेहरू म्यूजियम और लाइब्रेरी में 10 अगस्त 1929 को प्रकाशित ट्रिब्यून अखबार की वेरिफाइड कॉपी में कुछ प्रमाण मिलते हैं। लाहौर से प्रकाशित ट्रिब्यून अखबार के सायंकालीन संस्करण के पहले पन्ने पर पंडित जवाहर लाल नेहरू, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की मुलाकात की खबर प्रकाशित की है। खबर की हेडलाइन, "Pt. Jawaharlal Interviews Hunger Strikes" है। 

सेंट्रल जेल में भगत सिंह से मिलने गए थे नेहरू

खबर कहती है, "पंडित जवाहर लाल नेहरू एमएलसी डॉक्टर गोपीचंद के साथ लाहौर जेल गए और बोर्स्टल जेल में लाहौर षड्यंत्र केस में भूख हड़ताल कर रहे सत्याग्रहियों से मुलाकात की और उनका साक्षात्कार किया।" पंडित जवाहर लाल पहले सेंट्रल जेल गए जहां उन्होंने सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त से मुलाकात की और भूख हड़ताल के बारे में उनसे बातचीत की।"

भगत सिंह से प्रभावित थे जवाहरलाल नेहरू

इस बातचीत के बारे में नेहरू ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा है और ये बताया है कि वे भगत सिंह से किस तरह प्रभावित थे। नेहरू ने लिखा, 'मैं उस समय लाहौर में था, जब भूख हड़ताल को एक महीने हो गए थे। मुझे जेल में बंद कैदियों से मुलाकात की परमिशन दी गई और मैंने इसका लाभ उठाया। उन्होंने लिखा, "मैंने भगत सिंह, जतींद्र दास और अन्य लोगों को पहली बार देखा। वे सब लोग बहुत कमजोर दिख रहे थे और बिस्तर पर थे, उनसे बहुत ज्यादा बात करना भी मुश्किल लग रहा था। भगत सिंह के पास एक आकर्षक बौद्धिक चेहरा था, जो उल्लेखनीय रूप से शांत था। उनमें कोई क्रोध नहीं दिख रहा था। उन्होंने बहुत ही सज्जनता से बात की, लेकिन मुझे लगा कि जो कोई भी एक महीने तक उपवास करता है आध्यात्मिक और सौम्य दिखता है।

प्रधानमंत्री के बयान से चकित हैं इतिहासकार

जवाहर लाल यूनिवर्सिटी की इतिहासकार मृदुला मुखर्जी ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से चकित हैं। उन्होंने कहा, 'ये सबको पता है कि नेहरू और भगत सिंह एक दूसरे के प्रशंसक थे। जब भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारी जेल में थे, तो नेहरू ने न केवल उनसे मुलाकात की, बल्कि इस बारे में एक पत्र भी लिखा और सार्वजनिक रूप से बयान भी दिए। वे दोनों लोग एक दूसरे की परस्पर प्रशंसा करते रहते थे।

नेहरू और बोस का क्रांतिकारी भी सम्मान करते थे

भगत सिंह पर कई महत्वपूर्ण किताबें लिखने वाले जाने माने इतिहास प्रोफेसर चमनलाल ने  कहा कि नरेंद्र मोदी के बयान में तनिक भी सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से क्रांतिकारियों और गांधी के सिद्धांतों को मानने वाले कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद थे लेकिन वे एक दूसरे के प्रति बहुत सम्मान रखते थे। खासतौर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस का क्रांतिकारी बहुत सम्मान करते थे।
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