
अभी भी प्रदेश के कई जिले और विकासखंड ऐसे है जहां एयर स्ट्रिप नहीं है। ऐसे में विशिष्ट अतिथियों को सड़क मार्ग से वहां पहुंचना होता है। सड़क मार्ग से वीआईपी को पहुंचाने के लिए सरकार को उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर भारी-भरकम पुलिस और प्रशासन का अमला तैनात करना पड़ता है। इसके अलावा अन्य कई तरह की तैयारियां, जांच सड़क किनारे खेत, मकानों में पड़ताल करना पड़ता है। खासतौर पर बालाघाट और उसके आसपास के नक्सल इलाके में तो सुरक्षा के इंतजाम और अधिक चाक-चौबंद करना पड़ते है। इससे बचने के लिए अब राज्य सरकार वीआईपी मूवमेंट अब हेलीकॉप्टर से करने पर जोर दे रही है। इसलिए अब ऐसे सभी विकासखंडों में सरकारी खर्च पर हेलीपेड बनाए जा रहे है जहां अब तक हेलीकॉप्टर उतारने की कोई व्यवस्था नहीं थी।
इन जिलों में दी दो हेलीपेड बनाने की मंजूरी
राज्य सरकार ने जिले के आकार के आधार पर कई जिलों में दो हेलीपैड बनाने की मंजूरी दी है। इन जिलों में पन्ना, सीहोर, अशोकनगर, अलीराजपुर, बालाघाट, सिवनी, छतरपुर, नीमच, विदिशा, दतिया, उज्जैन, देवास, जबलपुर, बैतूल और नरसिंहपुर शामिल हैं।
लोक निर्माण विभाग बनाएगा हेलीपेड
प्रदेश के सभी विकासखंडों में हेलीपेड बनाने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को दी गई है। हेलीपेड निर्माण में विमानन विभाग के तय मापदंडों का ध्यान में रखकर हेलीपेड बनाए जाएंगे। ये हेलीपेड ऐसे स्थानों पर बनेंगे जहां से ये हवाई पट्टी उपर से आसानी से दिखाई दे सके और आसपास बड़ी इमारतें, बिजली के खंबे-तार, बड़े पेड़ और किसी तरह के व्यवधान ना हो। हवाई पट्टी के लिए कलेक्टरों को राशि उपलब्ध कराने को कहा गया है। ये हवाई पट्टियां आठ से दस लाख रुपए खर्च कर बनाई जाएंगी।