मप्र: जेलर, थानेदार, डॉक्टर समेत 8 के खिलाफ हत्या का केस

भोपाल। ग्वालियर जेल में भोपाल निवासी मोहसिन नामक युवक की मौत के मामले में अदालत ने केंद्रीय जेल के तत्कालीन जेलर आलोक वाजपेयी (वर्तमान में भोपाल जेल में पदस्थ) तत्कालीन टीटी नगर थाना प्रभारी मनीष राज भदौरिया, एसआई डीएल यादव, मनोरोग चिकित्सक डॉ. आरएन साहू, क्राइम ब्रांच के आरक्षक अहसान, मुरली, चिरोंजी लाल एवं एक अन्य के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और सबूत नष्ट करने का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित श्रीवास्तव ने मृतक के परिजन की ओर से दायर परिवाद की सुनवाई के बाद को दिए हैं।

तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट विपेंद्र यादव की जांच में यह साबित हो गया था कि उसके साथ पुलिस हिरासत अथवा न्यायिक हिरासत के दौरान अमानवीय व्यवहार कर मारपीट की गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। मृतक के परिजन के वकील यावर खान ने बताया कि मजिस्ट्रेट ने 20 पेज की जांच रिपोर्ट में कहा था कि गिरफ्तारी के समय मोहसिन शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ था। पुलिस हिरासत अौर न्यायिक हिरासत के दौरान उसके साथ मारपीट की गई।

आरोग्य केंद्र भेजने के अगले ही दिन हो गई थी मौत

टीला जमालपुरा निवासी मोहसिन को क्राइम ब्रांच के आरक्षक 13 जून 2015 को उसके घर से ले गए थे। 19 जून को उसे चेन लूट के मामले में अदालत में पेश कर जेल भेज दिया था। 23 जून को जेल प्रशासन ने उसे दिमागी रूप से बीमार बताते हुए ग्वालियर में आरोग्य केंद्र भेज दिया था। वहां पर 24 जून 2015 को उसकी मौत हो गई थी।

जेल प्रशासन ने पेश नहीं की CCTV रिकॉर्डिंग

मृतक के परिजनों अदालत में आवेदन पेश कर भोपाल केंद्रीय जेल के मेन गेट के सीसीटीवी कैमरे की रिकाॅर्डिंग अदालत में पेश किए जाने की मांग की थी , लेकिन जेल प्रशासन से रिकाॅर्डिंग अदालत में पेश नहीं की थी। डॉ. चन्द्रशेखर ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में कहा था कि शव पीएम के लिए जिस समय लाया गया था, उससे 24 से 72 घंटे पूर्व उसकी मौत हो चुकी थी।

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