शिवराज की अपील ठुकरा, बेमुद्दत हड़ताल पर वन कर्मचारी

भोपाल। 19 सूत्रीय मांगों को लेकर मप्र वन कर्मचारी संघ के बैनर तले वन विभाग के वनरक्षक से लेकर वन क्षेत्रपाल तक हजारों कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। इससे पहले सीएम शिवराज सिंह ने कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि मंडल को मिलने के लिए बुलाया था। बातचीत भी हुई। सीएम ने अपील की थी कि वो हड़ताल पर ना जाएं, मांगों पर विचार किया जाएगा परंतु कर्मचारियों को ठोस जवाब चाहिए था। सभी कर्मचारी बुधवार रात 12 बजे से हड़ताल पर चले गए। कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक प्रदेश सरकार हमारी मांग नहीं मानती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।

मप्र वन कर्मचारी संघ द्वारा 19 सूत्रीय मांगों को लेकर इंदौर संभाग के 850 से अधिक कर्मचारियों सहित प्रदेश भर के हजारों कर्मचारी हड़ताल पर चले गए है। प्रदेश के जंगलों में तैनात वनरक्षक 23 मई की रात 12 बजे से बेमियादी हड़ताल पर चले गए। जिसके चलते जंगल 24 मई से अफसरों के हवाले हो गए है। इन दिनों प्रदेश में तेंदुपत्ता संग्रहण का दौर चल रहा है, ऐसे में वनकर्मियों के हड़ताल पर जाने से तेंदुपत्ता संग्रहण पर नकारात्मक असर होगा। 

वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के अनुसार हड़ताल में वनरक्षक से लेकर वन क्षेत्रपाल तक शामिल है। इसके अलावा कम्प्यूटर ऑपरेटर व स्थायी कर्मचारी भी हड़ताल पर है। इसके चलते समर्थन मूल्य पर तेंदूपत्ता खरीदी सहित विभाग के विभिन्न काम प्रभावित हो रहे है।

सीएम ने की थी अपील


वन कर्मचारी संघ के उप प्रांताध्यक्ष प्रकाश वाजपेयी, संभागीय अध्यक्ष अंतरसिंह बैस के मुताबिक संघ का प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के साथ ही वन मंत्री से मिला था। मांगों के संबंध में कोई ठोस बात नहीं हुई और हड़ताल वापस लेने के लिए कह दिया गया। इस पर संघ ने तय किया है कि अब बेमियादी हड़ताल की जाएगी।

11 साल बाद भी नहीं हुआ निराकरण

संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि बोरा-मुश्रान समिति ने वेतन विसंगति दूर करने के लिए शासन को सिफारिश की थी लेकिन 11 साल बाद भी कोई निराकरण नहीं हुआ है। इसी तरह ब्रह्मस्वरूप वेतन आयोग ने 5वें और अग्रवाल वेतन आयोग ने छठे वेतनमान को लेकर सिफारिश की थी, जो अब भी अधूरी है।

24 घंटे की ड्यूटी के बाद भी वेतन कम

वनकर्मचारियों का कहना है कि पुलिस कर्मचारी 8-8 घंटे की शिफ्ट में नौकरी करते हैं लेकिन वनरक्षक व वन क्षेत्रपाल 24 घंटे की ड्यूटी दे रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें पुलिस के समान वेतनमान के तहत 13 माह का वेतन नहीं दिया जा रहा है।

वर्दी भत्ता भी दे सरकार

वन रक्षक से लेकर मुख्य वन संरक्षक तक के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को वर्दी (यूनिफाॅर्म) अनिवार्य करने की मांग भी अब तक लंबित है। इसके अलावा वनरक्षकों को नियुक्ति दिनांक से ग्रेड पे 199/5680 देनेे, महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर 5 हजार रुपए वर्दी भत्ता देने सहित अन्य मांगें भी पूरी नहीं की गई है। इन्हीं मांगों को लेकर गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है।

ये हो सकता है हड़ताल का असर

तेंदूपत्ता खरीदी पर नकारात्मक असर
वन माफिया की सक्रियता बढ़ने से अवैध कटाई बढ़ेगी
वन भूमि पर अतिक्रमण, अवैध उत्खनन के काम हो सकते हैं
तापमान ज्यादा होने से वनों में आगजनी की घटना होती है, रोकने के लिए कर्मचारी न होने से आग से वनों को नुकसान होगा।

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