
केवल सदस्यों को दिए गए लोन की लेनदारी का काम होगा और जैसे-जैसे वसूली होती जाएगी, बैंकों के सदस्यों को उनकी बकाया रकम दी जाएगी। जो जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक बंद की गई हैं, उनमें इंदौर के साथ ही संभाग के सभी जिलों की बैंक भी हैं। बैंकों में कार्यरत हजारों कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाने के लिए सहकारिता विभाग ने उन्हें अन्य सहकारी बैंकों में मर्ज करने का निर्णय लिया है।
राज्य सहकारिता मुख्यालय भोपाल से जारी हुए आदेश में कहा गया है कि परिसमापन में लाई गई सहकारी बैंकों के कर्मचारियों का एक माह में मूल्यांकन किया जाए। शेष को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। मूल्यांकन 25 वर्ष से अधिक सेवा काल पूर्ण करने वाले और 55 वर्ष से कम आयु के कर्मचारियों को उनकी उपयोगिता के आधार पर पदस्थ किया जाएगा। साथ ही यह जानकारी संकलित की जाएगी कि किन सहकारी संस्थाओं में कितने पद रिक्त हैं।
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