
गौरतलब है कि अंतर्निकाय संविलियन की प्रक्रिया के प्रथम चरण में हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल में कार्यरत 11 हजार 304 अध्यापकों ने ऑनलाइन आवेदन किये थे। ऑनलाइन परीक्षण के बाद 5909 आवेदन पात्र पाये गये। इनमें 3769 पुरुष और 2140 महिला अध्यापकों के आवेदन थे। शासन नीति में उल्लेखित प्राथमिकताओं के क्रम में ऑनलाइन प्रक्रिया से 4607 अध्यापकों के संविलियन की अनुमति जारी करने के पहले प्रावधिक सूची जारी की गई। इसमें 2953 पुरुष एवं 1654 महिला अध्यापक थे। लोक शिक्षण संचालनालय स्तर पर प्रावधिक सूची के परीक्षण के बाद 3995 अध्यापकों को अंतर्निकाय संविलियन की अनुमति 16 मार्च, 2018 को जारी की गई थी।
राज्य शासन द्वारा 10 जुलाई, 2017 को अध्यापक संवर्ग के लिये अंतर्निकाय संविलियन की ऑनलाइन नीति जारी की गई थी। नीति में महिला, नि:शक्त तथा पुरुष अध्यापक संवर्ग को भी शामिल किया गया। नीति के तहत वर्ष 2017 में ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित कर अंतर्निकाय संविलियन के लिये अनुमति जारी की गई थी। आयुक्त जनजातीय कार्य विकास द्वारा 12 अप्रैल को आदिवासी क्षेत्र में संचालित शैक्षणिक शालाओं में शिक्षकों की कमी के आधार पर आदिवासी क्षेत्र से गैर-आदिवासी क्षेत्र के लिये जारी अंतर्निकाय संविलियन के अध्यापकों को कार्यमुक्त नहीं करने के निर्देश दिये गये। इसके बाद आयुक्त लोक शिक्षण द्वारा अंतर्निकाय संविलियन के लिये जारी सभी अनुमतियों में आगे की कार्यवाही को अग्रिम आदेश तक के लिये स्थगित कर दिया गया था।
इस बीच अध्यापकों के संगठनों द्वारा विभिन्न स्तरों पर संविलियन की स्थगित प्रक्रिया को बहाल करने की माँग की गई। इस पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सकारात्मक पहल करते हुए 23 मई को यह निर्णय लिया गया है कि विभाग के अंतर्गत संचालित शैक्षणिक शालाओं में अंतर्निकाय संविलियन की प्रक्रिया में जिन प्रकरणों में संविलियन की अनुमति जारी हो गई है, उन अध्यापकों को पदांकित करने एवं कार्यमुक्त करने की कार्यवाही की जाये।