MP: कमलनाथ के बाद सिंधिया ने भी लिया यूटर्न, अब चेहरे की बात नहीं | ELECTION NEWS

भोपाल। मप्र में सीएम कैंडिडट के लिए केंपन चला रहे JYOTIRADITYA SCINDIA समर्थकों के लिए बुरी खबर है। सिंधिया बैकफुट पर आ गए हैं। अब वो यह लाइन नहीं दोहरा रहे हैं कि 'मप्र में चेहरा घोषित किया जाना चाहिए।' सिंधिया के ताजा बयान में कहा गया है कि 'पार्टी जो कहेगी वो करेंगे।' इससे पहले KAMAL NATH ने भी एक बयान देकर पार्टी में सीएम कैंडिडेट के मुद्दे को नकार दिया था। वो दिग्विजय सिंह द्वारा उनका नाम प्रस्तावित किए जाने पर बयान दे रहे थे। कुल मिलाकर नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की मनोकामना व प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया की रणनीति सफल होती नजर आ रही है। सिंधिया और कमलनाथ ने भी सीएम कैंडिडेट घोषित करने की जिद छोड़ दी है। 

कांग्रेस का कठिन दौर चल रहा है
हिंदी न्यूज़ चैनल ‘आजतक’ के शो ‘सीधी बात’ में एंकर श्वेता सिंह से बात करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं, (अगर) कोई व्यक्ति ना माने कि (कांग्रेस का) कठिन दौर चल रहा है और अगर ऐसा कहता है तो वो किसी और दुनिया में जीवनयापन कर रहा है

मप्र की दावेदारी से खिसके
सवाल: 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव उनके लिए ज्यादा अहम हैं या 2019 के आम चुनाव। 
सिंधिया: मैं मानता हूं एक जनसेवक और राजनेता होने के नाते आप के लिए हर चुनाव महत्वपूर्ण होना चाहिए। मेरे लिए चाहे लोकसभा चुनाव हो या मेरे प्रदेश में कहीं उपचुनाव हो, चाहे पार्टी मुझे जहां भी भेजती हो प्रचार के लिए, हर चुनाव महत्व रखता है।

केंद्र की राजनीति पर गोलमोल जवाब
सवाल: वो कौन से चार मुद्दे होंगे जो 2019 में केंद्र सरकार की चार्जशीट बन सकते हैं? 
सिंधिया: केंद्र सरकार की चार्जशीट सिर्फ चार मुद्दों पर नहीं बल्कि अनेकों मुद्दों पर बनेगी। चाहे आंतरिक सुरक्षा का मामला हो या देश के अंदर का वातावरण हो, चाहे विदेश नीति की बात हो या डोकलाम हो, पाकिस्तान की बात हो या फिर मालदीव की, बेरोजगारी की बात हो या महिला सुरक्षा की, या फिर डाटा लीक और पेपर लीक हो, इन सबका जबाव देना होगा।

मप्र की चर्चा से किनारा किया
सवाल: क्या 2018 के चुनाव ही 2019 के चुनावों की दिशा तय करेंगे? 
सिंधिया: मेरे लिए कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में सब से महत्वपूर्ण पड़ाव वर्तमान में कर्नाटक के चुनाव हैं और उसके बाद चार राज्यों के चुनाव।

फिर से सबको साधने की कोशिश
सवाल: 2018 में मध्य प्रदेश चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला बीजेपी से है या फिर कांग्रेस की अंदरूनी कलह से?, 
सिंधिया: कांग्रेस में गुटबाजी की राजनीति जरूर एक रिएल्टी थी लेकिन 5, 10, 15 साल पहले। अब मध्यप्रदेश में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व चाहे वो दिग्विजय सिंह जी हों, कमलनाथ जी, सुरेश पचौरी जी या सत्यव्रत चतुर्वेदी जी, हम सब साथ मिलकर चर्चा कर के आगे की रणनीति तय करते है।

इस बार नहीं की सीएम कैंडिडेट वाली बात 
सवाल: सारे सर्वे कहते हैं कि सिंधिया बहुत लोकप्रिय चेहरा हैं तो उनका नाम कांग्रेस की ओर से मध्य प्रदेश में सीएम के चेहरे के तौर पर क्यों घोषित नहीं किया जाता?
सिंधिया: नेतृत्व (प्रदेश में) का निर्णय मैं मानता हूं हाई कमान लेगा, कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूप में जो भी निर्णय लिया जाएगा मेरे लिए शिरोधार्य है।

वंशवाद का खुला समर्थन
वंशवाद के आरोपों पर पूछे गए सवालों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, "अगर कोई बिज़नेस मैन का लड़का या लड़की हो उस पर आप कटाक्ष नहीं करेंगे। डॉक्टर का लड़का या लड़की डॉक्टर बने, पर अगर किसी जनसेवक का बेटा या बेटी जनसेवा के मैदान में आए तो उस पर टिप्पणी की जाती है। देश की कौन सी पार्टी में वंशवाद नहीं है लेकिन ये सब लोग चुनाव जीतकर आते हैं।

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