ये हैं IPL 2018 की खूबियां और खामियां: सुनील गावस्कर का ब्लॉग | SPORTS NEWS

आईपीएल का खुमार इस वक्त क्रिकेट दीवानों के सिर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में पूर्व सीनियर क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी आईपीएल के इस सीजन पर अपनी राय जाहिर की है। गावस्कर ने एक अंग्रेजी अखबार के लिए लिखे अपने कॉलम में गेंदबाजों और बल्लेबाजों की तारीफ की। वहीं अंपायर्स की कुछ आदतों से असहमति भी जताई। पूर्व क्रिकेट कप्तान सुनील गावस्कर ने अपने कॉलम में लिखा कि, इस आईपीएल सीजन में पिच की भूमिका बेहद अ​हम रही है। सभी पिच ‘टॉप क्लास’ की हैं, जिन पर क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट के मैच खेले जा सकते हैं। गेंदबाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है जबकि बल्लेबाजों ने भी मैच में जोरदार शॉट्स लगाए हैं।’

दिल को छू जाने वाले कई मौके आए

आगे क्रिकेट के तेज फॉर्मेट की पैरवी करते हुए गावस्कर ने आगे लिखा कि,’ टी—20 में दिल को छू जाने वाले ऐसे कई मौके आए हैं, जो क्रिकेट फैन्स के दिलों को छूने में कामयाब रहे हैं। ऐसी ही कई वजहों ने आईपीएल को उन दर्शकों के लिए भी खास बनाया है जो सब कुछ फास्ट फॉरवर्ड में देखना चाहते हैं।’

कई क्रिएटिव शॉट्स भी खेले गए

सुनील गावस्कर ने आईपीएल में खिलाड़ियों के प्रदर्शन की जमकर तारीफ की। उन्होंने लिखा कि,’ आईपीएल में तेज बॉलिंग, टॉप क्लास की स्पिन बॉलिंग, आक्रामक बल्लेबाजी के अलावा कई क्रिएटिव शॉट्स भी खेले गए हैं। आक्रामक खेल ने दर्शकों को, फिर चाहें वो मैदान में हों या फिर टीवी के सामने, खूब रोमांचित किया है। पिच का टॉप क्लास होना भी क्रिकेट की क्वालिटी सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।’

कप्तान वक्त बर्बाद करते हैं

गावस्कर ने अपने कॉलम में जहां आईपीएल की तमाम खूबियों के बारे में लिखा है। वहीं कुछ कमियों की ओर भी इशारा किया है। गावस्कर ने लिखा है कि,’ मैच के दौरान कप्तान के रवैये के कारण ओवररेट पर फर्क पड़ता है। कप्तान अपनी रणनीति बनाने के लिए जरूरत से ज्यादा समय का इस्तेमाल करते हैं। आईपीएल में कुछ कप्तान भी इसके लिए रवि आश्विन और दिनेश कार्तिक के साथ जिम्मेदार हैं।’

दर्शन मैदान में खेल देखने आते हैं, कुछ और नहीं

गावस्कर ने अपने कॉलम में लिखा है कि, ‘ऐसे मौकों पर अंपायर्स की भूमिका खासी महत्वपूर्ण हो जाती है। अंपायर्स की ये जिम्मेदारी बनती है कि वे कप्तान को जरूरत से ज्यादा वक्त लेने से रोकें। इस रुकावट से खेल की स्पीड पर फर्क पड़ता है। कप्तान जो वक्त रणनीति बनाने में लगाते हैं, वह वक्त दर्शकों के काम का नहीं होता है। दर्शक मैदान में हर वक्त एक्शन देखना चाहता है। गावस्कर लिखते हैं कि वह खुद भी उन दर्शकों में से एक हैं जो खिलाड़ी से ज्यादा पारी के आखिरी ओवर की आखिरी गेंद की चिंता करते हैं।

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