SAGAR में राई नृत्यांगना के साथ सामूहिक बलात्कार | CRIME NEWS

भोपाल। 22 गज के ढंके हुए घांघरे में देवी देवताओं को प्रसन्न करने या मनोकामनाएं पूर्ण हो जाने पर कराया जाने वाला राई नृत्य बुंदेलखंड की पंरपराओं में शामिल है और आज भी आयोजित किया जाता है परंतु अब राई नृत्य के अर्थ बदलते जा रहे हैं। आयोजक भी नृत्यांगनाओं के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह मामला इसी का प्रमाण है।  बीना थाना के अन्तर्गत आने वाले कोरजा गांव में राई नृत्य करने आई युवती से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। 

बीना पुलिस के मुताबिक युवती ने अपनी शिकायत में लिखा कि आमखेड़ा गांव के यशपाल यादव और जयहिंद यादव उसे राई नृत्य करने कोरजा गांव ले जा रहे थे। सोमवार रात करीब 8 बजे रास्ते में आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने अपनी आबरू बचाने के लिए संघर्ष किया लेकिन दोनों आरोपियों ने उसके साथ मारपीट की। फिर दोनों ने युवती के साथ दुष्कर्म किया। युवती ने इसकी शिकायत बीना पुलिस थाने पर की। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर तलाश शुरू कर दी है।

क्या होता है राई नृत्य
राई नृत्य बुंदेलखंड के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है। यह नृत्य गुजरात के प्रसिद्ध गरबा नृत्य के समान ही प्रसिद्ध है। राई नृत्य बारहों महीने नाचा जाता है। बुंदेलखंडी जनमानस का हर्ष और उल्लास इस लोक नृत्य में अभिव्यक्त होता है। राई नृत्य में बेड़नियाँ नाचती हैं और बेड़नी के अभाव में स्त्री-वेशधारी पुरुष नाचते हैं। इस नृत्य के साथ फागें गाई जाती हैं। राई के गीत ख्याल, स्वाँग आदि और भी कई प्रकार के होते हैं। मृदंग की थाप पर घुंघरुओं की झंकारती राई और उसके साथ नृत्यरत स्वांग न केवल अपढ़ और ग्रामीणों का मनोरंजन करते हैं, बल्कि शिक्षित और सवर्ण भी इसे देखकर आह्लादित हो जाते हैं।

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