आयुर्वेदिक अंडों का उत्पादन अब उत्तरभारत में भी | NATIONAL NEWS

ओम बाजपेयी/मेरठ। अंडे के फायदे, नुकसान और उपयोग को लेकर भले ही सबके अपने-अपने दावे और तर्क हों, पर सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसवीबीपी कृषि विवि) मेरठ ने आयुर्वेदिक अंडों के उत्पादन की ओर कदम बढ़ाते हुए एक साथ कई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। एक तरफ जहां यह अतिरिक्त रूप से स्वास्थ्यवर्धक होगा, वहीं किसानों की आय दोगुना करने के सरकार के अभियान को भी मजबूती देगा। हालांकि दक्षिण भारत में इसकी शुरुआत पहले ही हो चुकी है, लेकिन उत्तर भारत में संभवत: इसे पहला प्रयास माना जा रहा है।

विवि के कुक्कुट अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के प्रभारी डॉ. डीके सिंह ने बताया कि इस अंडे को आयुर्वेदिक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस प्रक्रिया में मुर्गियों को जो आहार दिया जाता है उसमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है। सामान्य रूप से मुर्गी का अंडा सफेद होता है, लेकिन इस प्रक्रिया से तैयार अंडा हल्का गुलाबीपन लिए होता है।

डॉ. डीके सिंह ने बताया कि मुर्गी के आहार चार्ट पर काम चल रहा है, लेकिन इसमें अनाज जैसे मक्का, बाजरा, दाल की बजरी और जड़ी बूटियों के मिश्रण का उपयोग होना तय है। कुल 15 तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण तैयार किया जाएगा। हल्दी और लहसुन भी मुर्गियों को खिलाया जाएगा।

कुलपति प्रो. गया प्रसाद का कहना है कि आयुर्वेदिक अंडा किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा साधन बन सकता है। प्रधानमंत्री का किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य भी इससे हासिल होगा। विवि की हेचरी में इसके लिए उत्पादन और प्रशिक्षिण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

आधी कीमत में तैयार हो जाएगा
बेंगलुरु और हैदराबाद से आयुर्वेदिक अंडे दिल्ली जैसे महानगरों में सीमित मात्रा में सप्लाई हो रहे हैं। इनकी कीमत 23-24 रुपये प्रति अंडा है, जबकि विवि की हेचरी में इसे 12 से 15 रुपये में तैयार कर लिया जाएगा।

ये हैं फायदे 
आयुर्वेदिक अंडे में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो कि मछलियों में पाया जाता है। यह मस्तिष्क और हृदय को स्वस्थ रखता है। एनीमिया और कुपोषण का शिकार होने से बचाता है। हड्डियां मजबूत होती हैं। कैंसर की आशंका कम रहती है।

रसायनों ने बिगाड़ दी है अंडे की गुणवत्ता
आमतौर पर मुर्गियों को दिए जाने वाले आहार में केमिकलयुक्त उच्च प्रोटीन वाला आहार होता है। मुर्गियां कीड़े-मकोड़े भी खा लेती हैं। एनिमल न्यूट्रीशन विभाग के डॉ अजीत कुमार ने बताया कि मुर्गियों को ग्रोथ और बीमारियों से बचाने के लिए आक्सीटेट्रा साइक्लिन, क्लोरा टेट्रासाइक्लिन, एनरोफ्लाक्सिन, सिप्रोफ्लाक्सिन और नियोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक भी दी जाती हैं। ये एंटीबॉयोटिक मनुष्यों में प्रतिरोधक क्षमता कम करती हैं।

आमतौर पर पोल्ट्री फार्म मालिक अधिक अंडा लेने के लिए मुर्गियों को हार्मोंस, स्टेरॉयड के इंजेक्शन लगाते हैं। ये अंडे मनुष्यों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं। आयुर्वेदिक अंडा प्राप्त करने की प्रक्रिया में ऐसी किसी भी चीज का प्रयोग नहीं होगा।
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