
उत्तरप्रदेश पुलिस ने इस मामले में सोमवार को MUZAFFARNAGAR MEDICAL COLLEGE के दो छात्रों को अरेस्ट किया। इन दोनों नकल माफिया को एक-एक लाख रुपये देने का आरोप में पकड़ा गया है। पुलिस के मुताबिक माफिया ने परीक्षा में उनकी ओर से दिए गए जवाबों की बजाय एक्सपर्ट्स के उत्तर शामिल करा दिए। पुलिस का कहना है कि इस मामले में जांच के बाद कई और छात्रों के नाम सामने आएंगे। इसके अलावा चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के 6 अधिकारियों समेत 9 अन्य लोगों की पड़ताल की गई है, जो मेडिकल के छात्रों को नकल कराने में मदद करते थे। गैंग का पर्दाफाश करने वाली एसटीएफ के मुताबिक अरेस्ट किए गए दो छात्रों का नकल माफिया से परिचय सेकंड इयर की एक मेडिकल स्टूडेंट ने कराया था। इस युवती पर भी एजेंसियों की नजर है, लेकिन अभी अरेस्ट नहीं किया गया है।
1 से डेढ़ लाख में एक्सपर्ट्स से लिखवाते थे कॉपी
एसटीएफ के सूत्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी की मिलीभगत से नकल माफिया छात्रों की कॉपी की जगह पर एक्सपर्ट्स की ओर से लिखी गई कॉपियां रखवा देता था। इसके लिए वे मेडिकल स्टूडेंट्स से 1 से 1.5 लाख रुपये तक वसूलते थे। इसके अलावा अन्य प्रफेशनल कोर्सेज से जुड़े छात्रों से 30 से 40 हजार रुपये तक की वसूली की जाती थी। पूछताछ में पता चला है कि अरेस्ट किए गए दो छात्रों में से एक 21 साल का आयुष कुमार गुरुग्राम के टॉप अस्पताल के डॉक्टर का बेटा है। वह पानीपत का रहने वाला है। इसके अलावा दूसरा स्वर्णजीत सिंह (22) पंजाब के संगरूर का है। दोनों मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में सेकंड इयर के स्टूडेंट हैं।
पेपर खराब गए तो 1 लाख में लिखवाईं कॉपियां
एक टिप मिलने के बाद पुलिस ने इन दोनों स्टूडेंट्स की असली उत्तर पुस्तिका को बरामद कर लिया था, जिसके बाद इन्हें अरेस्ट किया गया। एसटीएफ की मेरठ यूनिट के इंचार्ज ब्रजेश सिंह ने कहा, 'दोनों छात्रों ने नकल माफियों को एक-एक लाख रुपये चुकाए थे।' एसटीएफ ने बताया, '15 मार्च को खत्म हुए सेमेस्टर एग्जाम सही नहीं जाने पर दोनों ने महिला स्टूडेंट से मुलाकात की, जो उनकी बैचमेट है। उसने इन दोनों को बताया कि 1 लाख रुपये देने पर उनकी कॉपियों की जगह एक्सपर्ट्स की लिखी कॉपियां रखवा दी जाएंगी। इसके बाद युवती के पिता ने नकल माफिया के साथ डील को फाइनल कराया।'